
जहां तक प्रचार का सवाल है तो इस
मामले में नीतीश अभी बीजेपी पर बीस हैं। बीजेपी ने अभी जमीनी तौर पर कोई ऐसा प्लान
पेश नहीं किया है जिससे जनता से संपर्क किया जा सके। लेकिन नीतीश की पार्टी अपना
अभियान शुरू कर चुकी है। चाहे पोस्टर की बात हो, नारों की बात हो या फिर वोटरों तक
पहुंचने के लिए कार्यक्रमों की। बीजेपी और बाकी उसके सहयोगी क्षेत्र में जाकर
कार्यक्रम तो कर रहे हैं लेकिन उस तरह का प्रचार उनके कार्यक्रमों को नहीं मिल रहा
है। हां विवादित बात निकलने पर जरूर उसकी चर्चा हो रही है।
नीतीश की कोशिश प्रचार में
बीजेपी को पछाड़ कर चुनाव के करीब आने तक बहुत आगे निकलने की है । इसके लिए नीतीश
ने पूरी तैयारी कर रखी है। तैयारी बीजेपी की भी है लेकिन उस तरीके से उसकी चर्चा
नहीं हो रही है जैसी नीतीश के प्रचार की हो रही है। सबसे पहले लालू को सरेंडर कराकर नीतीश ने खुद
को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित करा लिया। वही बीजेपी अभी तय ही नहीं कर पाई है
कि उसे किसके नेतृत्व में लड़ना है। मुख्यमंत्री का उनका कोई उम्मीदवार घोषित होगा
भी या नहीं, साझा नेतृत्व होगा या फिर नरेंद्र मोदी के नाम पर ही लड़ा जाएगा ?
ये
तमाम सवालात हैं जिनके जवाब मिलने बाकी हैं। लेकिन नीतीश कैंप में नतीजों तक इसकी
लड़ाई नहीं रह गई है।
नारे भी नीतीश की ओर से फाइनल हो
चुके हैं। जैसे लोकसभा के वक्त ‘अबकी बार मोदी सरकार’ का
नारा लोगों की जुबान पर चढ़ गया था । उसी से मिलता जुलता नीतीश का ‘फिर
एक बार नीतीश कुमार’ वाला नारा बिहार में लोगों के जुबान पर चढ़ने लगा है। कहने को
तो बीजेपी की तरफ से भी तीन चार नारे तय हुए हैं लेकिन एक मेन नारा अभी फाइनल नहीं
हो पाया। जय-जय बिहार, भाजपा सरकार का नारा लोगों को आकर्षित नहीं कर पाया है। और
सुशील मोदी के लिए दिया गया दिल्ली में मोदी-बिहार में मोदी वाला नारा विवाद होने
के बाद ठंडे बस्ते में पड़ गया।
लोकसभा चुनाव के वक्त मोदी के
लिए बीजेपी ने चाय पर चर्चा कार्यक्रम का आयोजन किया था। नीतीश ने अपने लिए पर्चे
पर चर्चा नाम से पिछले महीने राज्य भर में कार्यक्रम चलाया। हालांकि पर्चे पर
चर्चा हिट नहीं हो पाया लेकिन नीतीश ने अपने कार्यकर्ताओं को काम पर लगाए रखा।
लोकसभा चुनाव के वक्त ‘हर हर मोदी- घर घर मोदी’ महज
एक नारा भर था मोदी की लोकप्रियता को दिखाने के लिए। लेकिन नीतीश ने इस नारे को
अपने लिए बदलकर ‘हर घर दस्तक, घर-घर दस्तक’ नाम का
कार्यक्रम बना दिया है। आज से पटना में नीतीश ने इसकी शुरुआत की। एक करोड़ घर यानी
करीब 6 करोड़ वोटरों तक पहुंचने का लक्ष्य है। पटना से शुरुआत के पीछे भी रणनीति
है। अमूमन नीतीश अपना कोई भी कार्यक्रम पटना से बाहर से ही शुरू करते थे। लेकिन
पटना के शहरी वोटरों में बीजेपी का जो क्रेज है उसको प्रभावित करने के लिए नीतीश न
सिर्फ मंदिर गए बल्कि गलियों में पैदल भी घूमे।
पटना के तमाम होर्डिंग इन दिनों
नीतीश के नारों से पटे पड़े हैं। बीजेपी आरोप लगाती रही और नीतीश ने तमाम होर्डिंग
चुनाव से छे महीने पहले ही बुक करा लिए। हालत ये है कि हर तरफ पटना में फिर एक बार
नीतीश कुमार के पोस्टर ही दिख रहे हैं।
नीतीश की तारीफ में कसीदे पढ़ता
चार मिनट इक्कीस सेकेंड का जो गीत तैयार हुआ है वो भी पसंद किया जा रहा है। खुद
नीतीश कुमार ने सोशल साइट्स पर गीत को पोस्ट किया है । यू ट्यूब पर 24 घंटे में 5
हजार लोग इस गीत को सुन चुके हैं। उत्तर भारत में किसी नेता के लिए तैयार गीत तक
इतने लोगों का पहुंचना वो भी बिहार जैसे तकनीकी रूप से पिछड़े राज्य के लिए
राजनीतिक रूप से मायने रखता है। गीत में नीतीश के टाइटल कुमार से जोड़कर जबरदस्त
तुकबंदी की गई है। मसलन रोजगार, अधिकार, जुमलों का वार, जयकार, सरोकार पुरबा-पछिया
बयार, बिहार । और सबके साथ फिर एक बार नीतीश कुमार।
लोकसभा के वक्त नीतीश कुमार
नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान पर जब अटैक करते तो उसे ब्लोअर की हवा बताते थे।
लेकिन उसी हवा को अब अपने लिए नीतीश हथियार बना चुके हैं। मोदी की प्रचार टीम का
जिम्मा संभालने वाले प्रशांत इस बार नीतीश के लिए काम कर रहे हैं। विधायकों से
लेकर सांसदों तक को ट्रेनिंग दी जा रही है कि कैसे हर तरफ छा जाना है। लेकिन
लोकसभा चुनाव का अनुभव और जीत का इतिहास देखने के बाद भी बीजेपी नेता प्रचार के
मोर्चे पर न सिर्फ पीछे हैं बल्कि आज की तारीख में कहीं नहीं टिकते। असल में पिछड़ने
का एक कारण चेहरे का न होना भी है। नीतीश एक ब्रांड हैं अपनी पार्टी के औप प्रचार
के प्वाइंट। जबकि बीजेपी में तो कोई नाम ही नहीं है जिसके नाम पर पहले से प्रचार
करके माहौल तैयार किया जा सके ।
हां 25 तारीख को पीएम मुजफ्फरपुर
से प्रचार अभियान शुरू करने वाले हैं। हो सकता है उसकी तैयारी को लेकर जो जोर
लगेगा उससे कही रफ्तार पकड़े। फिलहाल बीजेपी के हथियार का ही इस्तेमाल करके नीतीश
प्रचार की लड़ाई में बीजेपी को घायल कर रहे हैं।
No comments:
Post a Comment