Friday, March 14, 2014

गंगाजल के ‘असली हीरो’ को बीजेपी का टिकट

प्रकाश झा की फिल्म गंगाजल को आप भूले नहीं होंगे। इस फिल्म में अभिनेता अजय देवगन एसपी का किरदार निभा रहे थे। अजय तो रील लाइफ के एसपी थे लेकिन रियल लाइफ का वो एसपी 35 साल बाद आज फिर चर्चा में है। फिल्म की कहानी अपराधियों को सजा के तौर पर आंख में तेजाब डालने को लेकर है। तेजाब को ही फिल्म में गंगाजल के रूप में पेश किया गया है। फिल्म की कहानी बिहार के अंखफोड़वा कांड से प्रभावित है। बिहार के भागलपुर जिले में साल 1979-80 में अंखफोड़वा कांड हुआ था। इसकी गूंज तब दिल्ली तक सुनाई दी थी। जिस वक्त भागलपुर में ये कांड हुआ उस वक्त वहां के एसपी थे वीडी राम यानी विष्णु दयाल राम।
पूर्व डीजीपी वीडी राम 
                                1973 बैच के आईपीएस रहे वीडी राम को बीजेपी ने झारखंड के नक्सल प्रभावित पलामू लोकसभा सीट से टिकट दिया है। वीडी राम मुजफ्फरपुर, बेतिया, भागलपुर और पटना के एसपी रह चुके हैं। एसपी बनने से पहले वो धनबाद के एएसपी थे। अपराधियों के लिए खौफ माने जाने वाले वीडी राम का भागलपुर वाला कार्यकाल विवादों में रहा। जिस वक्त राम भागलपुर के एसपी थे उसी वक्त अपराधियों के आंख में तेजाब डालकर अंधा कर देने के खूंखार पुलिसिया सजा का खुलासा हुआ था।
बवाल होने पर जो जांच समिति बनी उसकी रिपोर्ट के मुताबिक भागलपुर की पुलिस पर तीन दर्जन लोगों की आंखों में तेजाब डालकर अंधा करने का खुलासा हुआ। साल 1979 में शुरुआत नवगछिया थाने से हुई थी। इसके बाद जिले के अधिकांश थानों में इस तरह की बातें सामने आने लगी। और ये सिलसिला करीब साल भर तक चला। इस दौरान वीडी राम ही भागलपुर के एसपी हुआ करते थे। मामला पटना से लेकर दिल्ली तक उछला लेकिन पुलिस के हाथ नहीं रुके। उस दौरान दिन भर अलग अलग थानों की पुलिस अपराधियों को पकड़ती, रात को उनकी आंखें फोड़ दी जाती फिर तेजाब डालकर अंधा कर दिया जाता। इस तरह की जानकारी सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति को कुछ अंधे कैदियों ने दी थी। बाद में कोर्ट के आदेश पर कई पुलिस वाले सस्पेंड हुए, बड़े अफसरों का तबादला हुआ। अपराधियों में पुलिस का खौफ था तो आम लोग पुलिस के कामकाज से खुश। यही वजह रही कि पुलिस वालों के तबादले के खिलाफ शहर में बड़ा आंदोलन तक हुआ।
                   इसके बाद वीडी राम की पहचान अंखफोड़वा एसपी के तौर पर होने लगी। बेतिया और मुजफ्फरपुर जैसे शहर में तब अपराधियों का बोलबाला हुआ करता था लेकिन वीडी राम के आने से सब तड़ीपार हो गये थे।  
            हालांकि वीडी राम अब कहते हैं कि "जब उन्होंने भागलपुर एसपी का पदभार संभाला था। तक इस तरह के 12 केस दर्ज हो चुके थे"। वीडी राम 9 महीने तक भागलपुर के एसपी रहे। इस दौरान ऑपरेशन गंगाजल के शिकार 33 लोग हुए। सीबीआई ने जांच के दौरान वीडी राम से कई बार पूछताछ भी की थी। हालांकि इनके खिलाफ कभी कोई केस दर्ज नहीं हुआ। अंखफोड़वा कांड में सीबीआई ने कुल 10 पुलिस वालों को आरोपी बनाया था। लोअर कोर्ट ने 3 लोगों को दोषी माना। पटना हाईकोर्ट ने कुछ दिनों पहले ही एक इंस्पेक्टर को बरी कर दिया और दो पुलिस वालों की सजा को बरकरार रखा।
   बिहार के बंटवारे के बाद वीडी राम झारखंड कैडर में चले गए और वहां वो दो बार राज्य के डीजीपी रहे।
डीजीपी रहते हुए राम ने राज्य में झारखंड जगुआर के नाम से स्पेशल टास्क फोर्स बनाया। हालांकि डीजीपी रहते हुए इनपर सेक्रेट फंड के दुरुपयोग का आरोप भी लगा। दो साल पहले नक्सलियों ने मारने की कोशिश भी की लेकिन वो बाल बाल बच गए।


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