ईद के दिन पटना में नीतीश भी
टोपी पहनकर निकले तो भोपाल में बीजेपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी। लालू
से लेकर अखिलेश यादव तक । हर कोई टोपी पहनकर खुद को अल्पसंख्यकों का सबसे बड़ा
रहनुमा बताने में लगा था । लेकिन इस मौके पर भी सुर्खियां बनी मोदी की दो
साल पहले वाली वो टोपी जिसे उन्होंने मंच पर ही पहनने से इनकार कर दिया था
। सद्भावना उपवास के दौरान 18 सितंबर 2011 को मंच पर जब एक इमाम ने टोपी पहनाने की
कोशिश की तो मोदी ने इनकार कर दिया । दो साल हो गए लेकिन टोपी का भूत नरेंद्र मोदी का पीछा नही छोड़ा
रहा।
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भोपाल का ईदगाह मैदान |
भोपाल में कांग्रेस से जुड़े
अभिनेता रजा मुराद जब टोपी प्रकरण पर बोल रहे थे तब बगल में शिवराज सिंह चौहान भी खडे थे । रजा
मुराद ने टोपी को आधार बनाकर शिवराज को मोदी की तुलना में अल्पसंख्यकों का बड़ा
हितैषी बताया । सधे शब्दों में खूब खरी खोटी भी
सुना दी । ये भी कहा कि दूसरे मुख्यमंत्रियों को शिवराज से सीख लेने की जरूरत है ।
रजा मुराद ने यहां तक कहा कि देश की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठना है तो सबको साथ
लेकर चलना होगा । भले ही रजा मुराद ने नाम किसी का नहीं लिया लेकिन
सब जान गये कि कांग्रेस के जडे कलाकर के निशाने पर नरेंद्र मोदी ही हैं ।
मोदी के विरोधी नीतीश कुमार भी
समय समय पर टोपी का मुद्दा छेड़ते ही रहे हैं । नीतीश जब बीजेपी के साथ थे तब
उन्होंने मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि समय पड़ने पर टोपी भी पहननी पड़ती है
और तिलक भी लगाना पड़ता है । हालांकि मोदी पर नीतीश की सलाह का कोई असर नहीं दिखा
।
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18 सितंबर 2011 |
टोपी प्रकरण में इसी महीने एक
नया विवाद भी जुडा जब twitter पर मोदी के नाम से उर्दू में ट्वीट होने लगा। इस twitter एकाउंट पर मोदी की जो तस्वीर लगी थी
उसमें उन्हें टोपी पहने दिखाया गया था । हालांकि बाद में मोदी की ओर से साफ किया
गया कि ये एकाउंट ही फर्जी है ।
जब से दिल्ली की राजनीति में
मोदी ने दस्तक दी है तब से वो टोपी विवाद से निकलने की कोशिश कर रहे हैं । हालांकि इसके लिए अभी उन्होंने टोपी नहीं पहनी
है । लेकिन अपने दायरे में रहकर कोशिश कर रहे हैं । कल ईद के एलान होने का वक्त हो
तब या फिर आज ईद के नमाज का वक्त । मोदी ने ट्वीट कर मुसलमान भाइयों को ईद की बधाई
देने में देरी नहीं की । वैसे मोदी के टोपी नहीं पहनने के कई कारण हो सकते हैं ।
हर विश्लेषक अपने अपने तरह से टोपी विवाद का विश्लेषण कर सकता है । कुछ को
हिंदूवादी छवि पर असर कारण लग सकता है तो कोई बीजेपी के लिए मजबूरी कह सकता है। इस्लाम के जानकार टोपी की राजनीति को
अपमान मानते हैं । वैसे मोदी के समर्थक ये दावा जरूर करते रहे हैं कि टोपी नहीं
पहनने से मोदी की लोकप्रियता में कमी नहीं आई है ।
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