देश की सबसे
बड़ी अदालत ने साफ कर दिया है कि 1993 के मुंबई धमाकों के आरोपी अबु सलेम पर दोष साबित
भी होता है तो उसे फांसी की सजा नहीं हो सकती । सलेम ने कोर्ट में अर्जी केस खत्म
करने की दी थी। अदालत ने सलेम की बात तो नहीं सुनी लेकिन उसे एक तरह से जीवन
दान जरूर दे दिया। सलेम को जब साल 2005 में पुर्तगाल से भारत लाया गया था तभी
पुर्तगाल से ये करार हुआ था कि सलेम को 25 साल से ज्यादा या फिर फांसी की सजा नहीं
मिलेगी। कोर्ट से इस करार को सही करार दिया है।
80 से दशक
में सलेम ने अपराध की दुनिया में एंट्री ली थी । तब वह आजमगढ़ के अपने गांव सराय
मीर से दिल्ली कमाने के लिए आया था। दिल्ली में कुछ दिन टैक्सी ड्राइवर का काम
किया लेकिन किस्मत को उसे अपराध के दलदल में धकेलना था सो 1980 के बीच में वो
मुंबई आ गया। मुंबई में सलेम ने रेडिमेड कपड़ों का कारोबार शुरू किया। मन नहीं लगा
तो कुछ दिन टेलीफोन बूथ के धंधे से जुड़ा। इसी दौरान उसकी मुलाकात डॉन के खासमखास
छोटा शकील से हुई।
डी कंपनी में
सलेम ने छोटा शकील के ड्राइवर के तौर पर एंट्री ली थी । शुरुआत में सलेम को शूटरों
तक हथियार पहुंचाने का काम दिया गया। अंडरवर्ल्ड को करीब से जानने वाले बताते हैं
कि सलेम को इस वजह से कंपनी में ‘अबु सामान’ भी कहा जाने
लगा था। सलेम ने ही 1993 में संजय दत्त तक
एके-56 पहुंचाए थे।
सलेम ने दाऊद
गैंग में अपनी ऐसी जगह बनाई कि उसकी गिनती कंपनी में छोटा शकील के बाद होने लगी
थी। इस दौर में डी कंपनी में सलेम छोटा शकील के बाद दाऊद का सबसे भरोसेमंद हो गया
था। 1997 में निर्माता मुकेश दुग्गल की हत्या के बाद सलेम और मोनिका बेदी एक दूसरे
के करीब आए। मुकेश दुग्गल की हत्या में सलेम का हाथ ही बताया जाता है। बताया जाता
है कि सलेम से पहले मोनिका मुकेश दुग्गल की ही प्रेमिका थी। जून में दुग्गल की
हत्या हुई इसके बाद 12 अगस्त 1997 को गुलशन कुमार की भी हत्या हो गई।
कहा जाता है
कि सलेम ने कैसेट किंग गुलशन कुमार की हत्या से पहले दाऊद की इजाजत नहीं ली थी।
दाऊद इतना नाराज हुआ कि सबके सामने उसने सलेम को थप्पड़ जड़ दिया। इसी के बाद सलेम
ने दाऊद गैंग से नाता तोड़ लिया।
मोनिका बेदी से सलेम ने दूसरी शादी कर ली थी। सलेम की पहली पत्नी समीरा अमेरिका
में रहती है। मुंबई धमाकों के बाद सलेम भारत से भागा भागा फिर रहा था।
2 सितंबर को जब सलेम को पुर्तगाल के लिस्बन से गिरफ्तार किया गया तब मोनिका भी उसके साथ
थी। करीब तीन साल की कोशिश के बाद पुर्तगाल ने सलेम को साल 2005 में भारत के हवाले
किया।
पुर्तगाल से
हुए करार के मुताबिक सलेम को भारत में फांसी या फिर 25 साल की सजा नहीं दी जा सकती
थी। सलेम पर भारत में 50 के आसपास मुकदमे हैं। मुंबई धमाकों के साथ ही गुलशन कुमार
हत्याकांड, मुकेश दुग्गल हत्याकांड, अजीत देवानी हत्याकांड और कई बिल्डरों, फिल्म
निर्माता-निर्देशकों को धमकाने का आरोप है। फर्जी पासपोर्ट के जरिये देश छोड़ने का
आरोप भी सलेम पर है। नारको टेस्ट में सलेम कई आरोपों में अपना गुनाह कबूल भी चुका
है।

27 जून को
नवी मुंबई की तलोजा जेल में दाऊद के आदमी ने सलेम पर हमला किया था। इससे पहले
जुलाई 2010 में भी आर्थर रोड जेल में सलेम पर हमला हुआ था। कहा जाता है कि सलेम को
गिरफ्तार कराने में भी दाऊद का ही रोल था। अदालत के फैसले से सलेम को कम से कम इस
बात का सकून होगा कि उसे फांसी की सजा तो नहीं मिलेगी।
No comments:
Post a Comment