
ब्राह्मणों के वोट के लिए ही शीला को चेहरा बनाया जा रहा है तब तो कांग्रेस की नाव भगवान के भरोसे है ।
शीला पर घोटाले का दाग लगा है तो पार्टी के उपाध्यक्ष बनाये गये इमरान मसूद हेट स्पीच के लिए मशहूर हैं। मसूद सहारनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे तब उन्होंने नरेंद्र मोदी को लेकर बोटी बोटी काटने वाला विवादित बयान दिया था । बाद में माफी मांगी लेकिन इस बयान ने उन्हें फायदा भी दिलाया था । सहारनपुर में समाजवादी पार्टी का मुस्लिम उम्मीदवार चौथे नंबर चला गया और मसूद 4 लाख वोट पाकर दूसरे नंबर रहे । थोड़ा और जोड़ लगाते तो शायद जीत भी जाते । लेकिन इसका साइड इफेक्ट ये है कि मसूद सक्रिय हुए तो ब्राह्मण ही नहीं हिंदू वोटों का विरोध में ध्रुवीकरण हो सकता है । इसका नुकसान कांग्रेस को ही होगा । वैसे भी कांग्रेस के नेताओं पर भड़काऊ बातें बोलने का आरोप कम ही लगता है लेकिन मसूद जैसों का महत्व बढ़ना कांग्रेस की रणनीति में बदलाव के संकेत हैं ।
माननीय राज बब्बर भी दूध के धुले नहीं हैं । 2013 में 12 रुपये में भऱपेट खाना दिलवा रहे थे । बाद में लगा कि गलत बात मुंह से निकल गई तो माफी मांग लिए । लेकिन दामन में गरीब विरोधी होने का दाग लग गया जो कि बाद में कांग्रेस के वोट बैंक के नुकसान का बड़ा कारण साबित हुआ। राजब्बर पार्टी के प्रवक्ता रहते हुए कभी मोदी की तुलना हिटलर से कर चुके हैं । बाद में तो हिटलर से तुलना परिपाटी बन गई । मीडिया में कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी की जिद की वजह से राजबब्बर को अध्यक्ष बनाया गया । जबकि पार्टी का कोई बड़ा नेता ऐसा नहीं चाहता था । यहां तक की राहुल गांधी भी । राज बब्बर जिस यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं उसी यूपी की गाजियाबाद लोकसभा सीट से 5 लाख 67 हजार वोटों से 2014 का लोकसभा चुनाव हारे हैं । इतने वाटों से हारना अपने आप में एक रिकॉर्ड है । 2014 के चुनाव में सबसे ज्यादा वोट से हारने वाले देश में दूसरे उम्मीदवार हैं राजब्बर ।
पार्टी राज्य में जिन संजय सिंह को प्रचार की जिम्मेदारी दे रही है वो संजय सिंह भी कम विवादित नहीं हैं । बेटे से महल को लेकर झगड़ा हो रहा है । महल को लेकर खून तक बह चुका है । संजय सिंह गांधी परिवार के लॉय़ल रहे हैं। संजय सिंह की दो शादियां हैं और पहली पत्नी और उनके बेटे से उनका विवाद हो रहा है । संजय सिंह का विवाद कभी अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी सैय्यद मोदी की हत्या से भी जुड़ा था । इसमें उन्हें कई तरह की जांच से गुजरना पड़ा था । लेकिन राजपूत वोटों को लुभाने के लिए संजय सिंह को आगे लाया गया है । राजपूतों का नेता यूपी में कौन होगा । राजनाथ सिंह, अमर सिंह, संजय सिंह या कोई और सिंह । 2012 में 13 फीसदी राजपूतों के वोट कांग्रेस को मिले थे। सपा को 26 और बीजेपी को 29 फीसदी राजपूतों के वोट मिले थे तब ।
संजय सिंह को राजपूतों की गोलबंदी के लिए तो शीला को ब्राह्मणों की गोलबंदी के लिए लाया गया है । यूपी में कांग्रेस को 2012 में महज 13 फीसदी ब्राह्मणों के वोट मिले थे । तब दिल्ली में भी कांग्रेस का क्रेज था और सोनिया से लेकर राहुल गांधी तक खासे सक्रिय थे । इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस वक्त ब्राह्मण बीजेपी के साथ है । शीला के आने के बाद बीजेपी के ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगना तय है ।
शीला पर घोटाले का दाग लगा है तो पार्टी के उपाध्यक्ष बनाये गये इमरान मसूद हेट स्पीच के लिए मशहूर हैं। मसूद सहारनपुर से लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे तब उन्होंने नरेंद्र मोदी को लेकर बोटी बोटी काटने वाला विवादित बयान दिया था । बाद में माफी मांगी लेकिन इस बयान ने उन्हें फायदा भी दिलाया था । सहारनपुर में समाजवादी पार्टी का मुस्लिम उम्मीदवार चौथे नंबर चला गया और मसूद 4 लाख वोट पाकर दूसरे नंबर रहे । थोड़ा और जोड़ लगाते तो शायद जीत भी जाते । लेकिन इसका साइड इफेक्ट ये है कि मसूद सक्रिय हुए तो ब्राह्मण ही नहीं हिंदू वोटों का विरोध में ध्रुवीकरण हो सकता है । इसका नुकसान कांग्रेस को ही होगा । वैसे भी कांग्रेस के नेताओं पर भड़काऊ बातें बोलने का आरोप कम ही लगता है लेकिन मसूद जैसों का महत्व बढ़ना कांग्रेस की रणनीति में बदलाव के संकेत हैं ।
माननीय राज बब्बर भी दूध के धुले नहीं हैं । 2013 में 12 रुपये में भऱपेट खाना दिलवा रहे थे । बाद में लगा कि गलत बात मुंह से निकल गई तो माफी मांग लिए । लेकिन दामन में गरीब विरोधी होने का दाग लग गया जो कि बाद में कांग्रेस के वोट बैंक के नुकसान का बड़ा कारण साबित हुआ। राजब्बर पार्टी के प्रवक्ता रहते हुए कभी मोदी की तुलना हिटलर से कर चुके हैं । बाद में तो हिटलर से तुलना परिपाटी बन गई । मीडिया में कहा जा रहा है कि प्रियंका गांधी की जिद की वजह से राजबब्बर को अध्यक्ष बनाया गया । जबकि पार्टी का कोई बड़ा नेता ऐसा नहीं चाहता था । यहां तक की राहुल गांधी भी । राज बब्बर जिस यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं उसी यूपी की गाजियाबाद लोकसभा सीट से 5 लाख 67 हजार वोटों से 2014 का लोकसभा चुनाव हारे हैं । इतने वाटों से हारना अपने आप में एक रिकॉर्ड है । 2014 के चुनाव में सबसे ज्यादा वोट से हारने वाले देश में दूसरे उम्मीदवार हैं राजब्बर ।
पार्टी राज्य में जिन संजय सिंह को प्रचार की जिम्मेदारी दे रही है वो संजय सिंह भी कम विवादित नहीं हैं । बेटे से महल को लेकर झगड़ा हो रहा है । महल को लेकर खून तक बह चुका है । संजय सिंह गांधी परिवार के लॉय़ल रहे हैं। संजय सिंह की दो शादियां हैं और पहली पत्नी और उनके बेटे से उनका विवाद हो रहा है । संजय सिंह का विवाद कभी अंतर्राष्ट्रीय बैडमिंटन खिलाड़ी सैय्यद मोदी की हत्या से भी जुड़ा था । इसमें उन्हें कई तरह की जांच से गुजरना पड़ा था । लेकिन राजपूत वोटों को लुभाने के लिए संजय सिंह को आगे लाया गया है । राजपूतों का नेता यूपी में कौन होगा । राजनाथ सिंह, अमर सिंह, संजय सिंह या कोई और सिंह । 2012 में 13 फीसदी राजपूतों के वोट कांग्रेस को मिले थे। सपा को 26 और बीजेपी को 29 फीसदी राजपूतों के वोट मिले थे तब ।
संजय सिंह को राजपूतों की गोलबंदी के लिए तो शीला को ब्राह्मणों की गोलबंदी के लिए लाया गया है । यूपी में कांग्रेस को 2012 में महज 13 फीसदी ब्राह्मणों के वोट मिले थे । तब दिल्ली में भी कांग्रेस का क्रेज था और सोनिया से लेकर राहुल गांधी तक खासे सक्रिय थे । इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस वक्त ब्राह्मण बीजेपी के साथ है । शीला के आने के बाद बीजेपी के ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगना तय है ।