Friday, March 28, 2014

रक्सौल वाले साबिर का सच क्या है?

2005 के विधानसभा चुनाव में साबिर अली आदापुर सीट से श्याम बिहारी प्रसाद के हाथों बतौर एलजेपी उम्मीदवार 16 हजार वोटों से हार गए थे। साबिर का ये पहला चुनाव था। हार के बाद साबिर राजनीति के मैदान से तीन साल तक गायब रहे। लेकिन 2008 में रामविलास पासवान ने पार्टी में तमाम विरोधों को दरकिनार कर साबिर अली को राज्यसभा का सांसद बनाया। दो साल तक साबिर अली पासवान के काफी करीब रहे। 2010 के विधानसभा चुनाव में पत्नी यास्मीन अली को नरकटिया सीट से टिकट दिलवाला लेकिन 8 हजार वोटों से वो चुनाव हार गईं। इसके बाद साबिर जेडीयू में चले गए। 
13 नवंबर 2011 
  2011 में साबिर ने एलजेपी से इस्तीफा दिया तो नीतीश ने उन्हें उनकी सीट पर निर्विरोध राज्यसभा भेज दिया। 
पिछले महीने ही जब राज्यसभा का टर्म पूरा हुआ तो साबिर अली को नीतीश ने दोबारा टिकट नहीं दिया। साबिर की जगह मुस्लिम कोटे से कहकशां परवीन को उम्मीदवार बनाया गया। नीतीश ने साबिर को लोकसभा चुनाव लड़ने को कहा। शिवहर से टिकट फाइनल भी हो गया और खुद नीतीश भी साबिर का प्रचार करने शिवहर गए। साबिर जहां के रहने वाले हैं वो इलाका शिवहर लोकसभा में नहीं आता है। जिस शिवहर सीट से साबिर चुनाव लड़ने गए थे वहां से बीजेपी की रमा देवी सांसद हैं। वही रमा देवी जिनके देवर श्याम बिहारी के हाथों हारकर साबिर ने राजनीति में पहला कदम रखा था। लिहाजा शिवहर में  जीत पाते इसकी उम्मीद उनको भी नहीं थी। घबराहट और ज्यादा तब हो गई जब आरजेडी ने पूर्व सांसद अनवारुल हक को टिकट दे दिया। अनवारुल के आने से साबिर को हार की आशंका साफ-साफ दिखने लगी।             
  इसी के बाद साबिर ने नरेंद्र मोदी की तारीफ करनी शुरू कर दी। नतीजा हुआ कि जेडीयू ने उन्हें निकाल दिया। और दो दिन बाद ही बीजेपी में एंट्री हो गई। जिस वक्त साबिर को आज बीजेपी दफ्तर में पार्टी की सदस्यता दिलाई गई बिहार का कोई नेता मौजूद नहीं था। बिहार के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने उन्हें सदस्यता दिलाई और सुधांशु त्रिवेदी के साथ जेपी नड्डा ने स्वागत किया। तस्वीर कमोबेश तभी साफ हो गई थी कि कुछ गड़बड़ जरूर है। तीन घंटे बाद मुख्तार अब्बास नकवी ने मोर्चा खोला और आतंकी कनेक्शन जोड़कर पार्टी में शामिल करने का विरोध कर दिया।
     साबिर अली बिहार के रक्सौल के रहने वाले हैं।उसी रक्सौल के जहां से पिछले साल कुख्यात आतंकी यासीन भटकल को गिरफ्तार किया गया था।यासीन भटकल कई सालों से बिहार के दरभंगा-मधुबनी-समस्तीपुर में रहकर आतंक का नेटवर्क चलाया करता था।कहीं न कहीं मुख्तार अब्बास नकवी ने रक्सौल कनेक्शन के जरिए भटकल और साबिर को साथ जोड़ने की कोशिश की है।
           
सौ. एबीपी न्यूज
साबिर को पार्टी में लिए जाने का बिहार के नेता रामेश्वर चौरसिया ने भी खुला विरोध किया है। संघ के सूत्र भी मान रहे हैं कि साबिर को गलत नीयत से भेजा गया है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि उद्धव ठाकरे भी नाराज हैं। साबिर का मुंबई में करोड़ों का कारोबार है। करोड़ों के फ्लैट और जमीन हैं। बहुत कम उम्र में साबिर ने करोड़ों की बेहिसाब संपत्ति जमा की है। 1997 में टी सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की हत्या के मामले में भी साबिर अली पर सवाल उठे थे। 

पैसे के दम पर ही साबिर की सियासत में एंट्री हुई। एलजेपी से लेकर बीजेपी तक का सफर उन्होंने तय किया। दिल्ली में जब पिछले साल विधानसभा चुनाव हो रहे थे तो जेडीयू ने उन्हें यहां का अध्यक्ष बनाया था।  24 नवबर 2013 को गिरिराज सिंह ने फेसबुक पर लिखा था
why dawood 's man sabir ali is not participating in delhi JDU election campaign??
 बीजेपी नेता साबिर के दाऊद कनेक्शन को उजागर करने में लगे हैं तो जेडीयू के नेता भी आरोप लगा रहे हैं कि दिल्ली चुनाव में टिकट बेचकर और गलत तरीके से ही साबिर ने करोड़ों रुपये कमाए है।

लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जब बीजेपी और जेडीयू साथ थे तब किसी ने साबिर अली के बारे में ऐसा कुछ क्यों नहीं कहा... क्या तब तक साबिर पाक साफ थे...या फिर साबिर के आने से बीजेपी के कुछ नेताओं को परेशानी हो रही है। बात जो भी हो लेकिन चुनावी माहौल में पहले विनोद शर्मा फिर प्रमोद मुथालिक और अब साबिर अली को लेकर घमासान नरेंद्र मोदी के लिए सही लक्षण नहीं हैं।  

Friday, March 14, 2014

गंगाजल के ‘असली हीरो’ को बीजेपी का टिकट

प्रकाश झा की फिल्म गंगाजल को आप भूले नहीं होंगे। इस फिल्म में अभिनेता अजय देवगन एसपी का किरदार निभा रहे थे। अजय तो रील लाइफ के एसपी थे लेकिन रियल लाइफ का वो एसपी 35 साल बाद आज फिर चर्चा में है। फिल्म की कहानी अपराधियों को सजा के तौर पर आंख में तेजाब डालने को लेकर है। तेजाब को ही फिल्म में गंगाजल के रूप में पेश किया गया है। फिल्म की कहानी बिहार के अंखफोड़वा कांड से प्रभावित है। बिहार के भागलपुर जिले में साल 1979-80 में अंखफोड़वा कांड हुआ था। इसकी गूंज तब दिल्ली तक सुनाई दी थी। जिस वक्त भागलपुर में ये कांड हुआ उस वक्त वहां के एसपी थे वीडी राम यानी विष्णु दयाल राम।
पूर्व डीजीपी वीडी राम 
                                1973 बैच के आईपीएस रहे वीडी राम को बीजेपी ने झारखंड के नक्सल प्रभावित पलामू लोकसभा सीट से टिकट दिया है। वीडी राम मुजफ्फरपुर, बेतिया, भागलपुर और पटना के एसपी रह चुके हैं। एसपी बनने से पहले वो धनबाद के एएसपी थे। अपराधियों के लिए खौफ माने जाने वाले वीडी राम का भागलपुर वाला कार्यकाल विवादों में रहा। जिस वक्त राम भागलपुर के एसपी थे उसी वक्त अपराधियों के आंख में तेजाब डालकर अंधा कर देने के खूंखार पुलिसिया सजा का खुलासा हुआ था।
बवाल होने पर जो जांच समिति बनी उसकी रिपोर्ट के मुताबिक भागलपुर की पुलिस पर तीन दर्जन लोगों की आंखों में तेजाब डालकर अंधा करने का खुलासा हुआ। साल 1979 में शुरुआत नवगछिया थाने से हुई थी। इसके बाद जिले के अधिकांश थानों में इस तरह की बातें सामने आने लगी। और ये सिलसिला करीब साल भर तक चला। इस दौरान वीडी राम ही भागलपुर के एसपी हुआ करते थे। मामला पटना से लेकर दिल्ली तक उछला लेकिन पुलिस के हाथ नहीं रुके। उस दौरान दिन भर अलग अलग थानों की पुलिस अपराधियों को पकड़ती, रात को उनकी आंखें फोड़ दी जाती फिर तेजाब डालकर अंधा कर दिया जाता। इस तरह की जानकारी सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति को कुछ अंधे कैदियों ने दी थी। बाद में कोर्ट के आदेश पर कई पुलिस वाले सस्पेंड हुए, बड़े अफसरों का तबादला हुआ। अपराधियों में पुलिस का खौफ था तो आम लोग पुलिस के कामकाज से खुश। यही वजह रही कि पुलिस वालों के तबादले के खिलाफ शहर में बड़ा आंदोलन तक हुआ।
                   इसके बाद वीडी राम की पहचान अंखफोड़वा एसपी के तौर पर होने लगी। बेतिया और मुजफ्फरपुर जैसे शहर में तब अपराधियों का बोलबाला हुआ करता था लेकिन वीडी राम के आने से सब तड़ीपार हो गये थे।  
            हालांकि वीडी राम अब कहते हैं कि "जब उन्होंने भागलपुर एसपी का पदभार संभाला था। तक इस तरह के 12 केस दर्ज हो चुके थे"। वीडी राम 9 महीने तक भागलपुर के एसपी रहे। इस दौरान ऑपरेशन गंगाजल के शिकार 33 लोग हुए। सीबीआई ने जांच के दौरान वीडी राम से कई बार पूछताछ भी की थी। हालांकि इनके खिलाफ कभी कोई केस दर्ज नहीं हुआ। अंखफोड़वा कांड में सीबीआई ने कुल 10 पुलिस वालों को आरोपी बनाया था। लोअर कोर्ट ने 3 लोगों को दोषी माना। पटना हाईकोर्ट ने कुछ दिनों पहले ही एक इंस्पेक्टर को बरी कर दिया और दो पुलिस वालों की सजा को बरकरार रखा।
   बिहार के बंटवारे के बाद वीडी राम झारखंड कैडर में चले गए और वहां वो दो बार राज्य के डीजीपी रहे।
डीजीपी रहते हुए राम ने राज्य में झारखंड जगुआर के नाम से स्पेशल टास्क फोर्स बनाया। हालांकि डीजीपी रहते हुए इनपर सेक्रेट फंड के दुरुपयोग का आरोप भी लगा। दो साल पहले नक्सलियों ने मारने की कोशिश भी की लेकिन वो बाल बाल बच गए।


Thursday, March 13, 2014

टिकट बंटते ही बीजेपी में बवाल

गिरिराज सिंह
बिहार में टिकट के बंटवारे के साथ ही बीजेपी का विवाद सामने आ गया है। पार्टी के मुखर नेता गिरिराज सिंह को उनकी मर्जी के खिलाफ नवादा से टिकट दिया गया है। नवादा सीट भी भूमिहार बहुल हैं लेकिन गिरिराज बेगूसराय चाहते थे। पार्टी ने यहां से नवादा के सांसद भोला सिंह को टिकट दे दिया है। अब गिरिराज लड़ने को तैयार नही हैं।
           नाराजगी वाल्मीकि नगर सीट को लेकर भी है चनपटिया के विधायक चंद्रमोहन राय यहां से लड़ना चाहते थे लेकिन उनकी गह नरकटियागंज के विधायक सतीश दुबे को टिकट दिया गया है। यहां से पूर्व पेट्रोलियम सचिव आरएस पांडेय भी दावेदार थे।     
   विवाद के चलते ही पटना साहिब और बक्सर सीट का एलान नहीं हो सका है। बक्सर से विधायक अश्विनी चौबे, सुखदा पांडे, रामेश्वर चौरसिया के अलावा गायक मनोज तिवारी भी दावेदार हैं। पटना साहिब से शत्रुघ्न सिन्हा का पत्ता कटा तो वो जेडीयू का रुख कर सकते हैं। बीजेपी कोटे की 5 और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समता पार्टी के कोटे की तीन सीटों पर एलान बाकी है। जहानाबाद, झंझारपुर और काराकट सीट आरएलएसपी के खाते की बताई जा रही है। लेकिन बीजेपी कोटे की पटना साहिब, सीतामढ़ी, बक्सर, महाराजगंज और सुपौल का पेंच फंसा हुआ है।  
पुतुल सिंह और ओम प्रकाश यादव
     जिन 25 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित किए गए हैं उनमें आर के सिंह सहित 8 नए और बाहरी लोग हैं। जेडीयू छोड़कर आने वाले सांसद सुशील सिंह को औरंगाबाद, मोहनियां से जेडीयू विधायक छेदी पासवान को सासाराम, जेडीयू सांसद कैप्टन जयनारायण निषाद के बेटे अजय निषाद को मुजफ्फरपुर, जेडीयू के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे और मंत्री रेणु कुशवाहा के पति विजय कुशवाहा को मधेपुरा से टिकट मिला है। आरजेडी छोडकर आए रामकृपाल पाटलिपुत्र से टिकट पा गए। निर्दलीय सांसद रहे ओम प्रकाश यादव सीवान और पुतुल देवी को बांका से टिकट मिला ।
सीपी ठाकुर के साथ दिलीप जायसवाल
16 मौजूदा सांसदों को टिकट मिला है जबकि 9 उन लोगों को टिकट मिला है जो अभी लोकसभा या राज्यसभा में नहीं हैं। पार्टी ने नरकटियागंज के अपने विधायक सतीश दुबे को वाल्मीकि नगर से हाजीपुर के विधायक नित्यानंद राय को उजियारपुर से विधान परिषद के सदस्य गिरिराज सिंह को नवादा से टिकट दिया गया है। मुस्लिम बहुल किशनगंज की सीट पर विधान परिषद के सदस्य दिलीप जायसवाल को पार्टी ने उतारा है।
               राजपूत बहुल आरा से पार्टी ने पूर्व गृह सचिव आर के सिंह को टिकट दिया है। सारण से राबड़ी देवी के खिलाफ राजीव प्रताप रूडी लड़ेंगे।
 25 उम्मीदवारों में से 12 सवर्णों को टिकट मिला है। इनमें सबसे ज्यादा 7 राजपूत हैं। 3 भूमिहार और 2 ब्राह्मण हैं। 4 यादव, 3 वैश्य, 1-1 कोइरी और मल्लाह जाति के उम्मीदवार हैं।  दलित सीटों में 1 पर चमार, 1 पर दुसाध और 1 पर मुसहर को उतारा है । 1 मुस्लिम को टिकट मिला है। 

                                         

Wednesday, March 12, 2014

दल तो बदला जनता का दिल जीतेंगे क्या?

वैसे तो चुनाव के वक्त दल बदल स्वभाविक है लेकिन बिहार की राजनीति में इस बड़ा उलटफेर हो रहा है। रामविलास पासवान ने लालू को झटका देकर बीजेपी से हाथ मिलाया और बिहार की राजनीति की दिशा ही बदल दी। इस बार बीजेपी पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की नई नई बनी पार्टी से तालमेल करके लड़ रही है। कई इलाकों मे इस गठबंधन को फायदा मिलने की उम्मीद चुनाव के विश्लेषक लगा रहे है। लेकिन चुनावी शतरंज की बिसात पर हर कोई हर सीट के लिए गोटी फिट करने में जुटा है।
पाटलिपुत्र की जंग
लालू खुद लड़ने लायक नहीं हैं सो बेटी को विरासत सौंपने का फैसला कर पाटलिपुत्र से टिकट दे दिया। इस सीट से बीजेपी ने लालू की पार्टी के विधान परिषद सदस्य नवल किशोर यादव को कुछ दिन पहले ही टिकट का भरोसा देकर शामिल किया था। लेकिन लालू के लक्ष्मण रहे रामकृपाल यादव ने पाला बदल दिया और अब पाटलिपुत्र सीट से इनके बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर उतरने की चर्चा है। इस खबर से नवल किशोर के हाथ पांव फूले हुए हैं।
खगड़िया का खेल
सबसे दिलचस्प खेल है खगड़िया का है। इस सीट पर अभी जेडीयू का कब्जा है। कई बार सांसद रह चुके दिनेश चंद्र यहां से सांसद है। कांग्रेस और आरजेडी में जब तालमेल की चर्चा हो रही थी तब इस बात की अटकलें लग रही थी लालू कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महबूब अली कैसर के लिए ये सीट छोड़ सकते हैं। नतीजा हुआ कि अटकलों को आधार बनाकर ही विधानसभा में आरजेडी के मुख्य सचेतक रहे सम्राट चौधरी ने पार्टी तोड़ दी। टिकट की चाह में सम्राट जेडीयू में चले गये। लालू ने इस बात को प्रतिष्ठा का सवाल बनाया और कांग्रेस को ये सीट नहीं दी। अब नतीजा हुआ कि कांग्रेस से टिकट लड़ने के इच्छुक महबूब अली कैसर ने पाला बदल दिया। कैसर आज ही एलजेपी में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें खगड़िया से एनडीए का उम्मीदवार बना दिया। लालू ने इस सीट से जिस कृष्णा यादव को टिकट दिया है वो उसी जेडीयू के बाहुबली रणवीर यादव की पत्नी हैं जिसने दो साल पहले नीतीश के लिए लोगों पर कार्बाइन तान दी थी। कृष्णा रणवीर की दूसरी पत्नी हैं.. इनकी एक पत्नी पूनम अभी भी खगडिया से जेडीयू की विधायक हैं। पूनम और कृष्णा आपस में सगी बहनें हैं और अच्छे रिश्ते हैं। अब नीतीश इस सीट से सम्राट की जगह आज ही जेडीयू में शामिल हुए सम्राट के पिता शकुनी चौधरी को टिकट दे सकते हैं। शकुनी एक बार नीतीश की पुरानी पार्टी समता पार्टी से सांसद रह चुके हैं।
 सांसदों ने मारी पलटी
इससे पहले मुजफ्फऱपुर के जेडीयू सांसद कैप्टन जयनारायण निषाद पाला बदलकर बीजेपी में गए। बीजेपी निषाद के बेटे को टिकट देने वाली है। औरंगाबाद के जेडीयू सांसद सुशील कुमार सिंह बीजेपी में गए। गोपालगंज के जेडीयू सांसद पूर्णमासी राम भी जेडीयू छोड़े लेकिन किसी पार्टी ने उन्हें अब तक भाव नहीं दिया है। झंझारपुर के जेडीयू सांसद मंगनी लाल मंडल लालू की पार्टी में गए तो उन्हें वहां टिकट मिल गया। सीवान के निर्दलीय सांसद ओम प्रकाश यादव और बांका की निर्दलीय सांसद पुतुल देवी भी बीजेपी का दामन थाम चुकी हैं। जेडीयू के सांसद मोनाजिर हसन की बेगूसराय सीट नीतीश ने सीपीआई के खाते में डाल दी है। मोनाजिर ने अभी कुछ तय नहीं किया है।
विधायकों का पाला बदल    
मंत्री रेणु कुशवाहा के पति विजय कुशवाहा मोदी की रैली में जेडीयू छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए। इसके बाद रेणु ने इस्तीफा दे दिया। विजय कुशवाहा को मधेपुरा से टिकट मिलने की उम्मीद है। इससे पहले मंत्री परवीन अमानुल्लाह भी इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी में चली गईं। जेडीयू विधायक छेदी पासवान बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। उन्हें सासाराम से मीरा कुमार के खिलाफ टिकट मिल सकता है। जेडीयू विधायक नीरज सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू, अन्नू शुक्ला नाराज चल रही हैं। जेडीयू के पूर्व विधायक भगवान सिंह कुशवाहा को लालू ने नीतीश की पार्टी से तोडकर आरा से टिकट दे दिया। विधान परिषद में आरजेडी के विधायक गुलाम गौस को टिकट नहीं मिला तो वो जेडीयू में चले गये हैं मधुबनी से लड़ने की खबर है । फिल्मकार प्रकाश झा लोजपा से जेडीयू में गए और पश्चिमी चंपारण से टिकट पा गए। बीजेपी के 8 बार के विधायक रहे अवनीश कुमार को नीतीश ने तोड़ा और पूर्वी चंपारण से टिकट दे दिया। एलजेपी विधायक जाकिर अनवर अबु कैसर, पूर्व विधायक विजेंद्र चौधरी भी टिकट की चाह में जेडीयू में शामिल हुए हैं।
बाहुबलियों का नया ठिकाना
पूर्व सांसद और बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद को कहीं ठिकाना नहीं मिला तो इस बार वो मुलायम के साथ चली गई हैं। पिछला चुनाव लवली कांग्रेस के टिकट पर लड़ी थी इस बार उन्हें शिवहर से समाजवादी पार्टी का टिकट मिला है। पप्पू यादव अभी तक निर्दलीय घूम रहे थे। लेकिन लालू ने मधेपुरा का टिकट थमाया और अब वो लालू के हो गए।
आम्रपाली ग्रुुप के चेयरमैन अनिल शर्मा भी जेडीयू में शामिल हो गये हैं।