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कैप्टन जयनारायण निषाद |
मुजफ्फरपुर से कैप्टन जयनारायण निषाद अभी सांसद
हैं । लोकसभा की 6 सीटों में से 3 बीजेपी और 3 जेडीयू के पास है । निषाद इस बार
लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगे । निषाद अपने बेटे अजय के लिए बीजेपी का टिकट चाह
रहे हैं । बीजेपी से लगभग अजय की उम्मीदवारी तय मानी जा रही है । जेडीयू भी किसी पिछड़े को ही उम्मीदवार बनाएगा। गणेश, भारती,
नरेंद्र पटेल, विजेंद्र चौधरी टाइप किसी की लॉटरी लग सकती है। मुस्लिम चेहरे में
शाह आलम शब्बू पर दांव लग सकता है। विजेंद्र चौधरी सबसे मजबूत दावेदार हैं । आरजेडी
की सीट को लेकर तस्वीर साफ नहीं है। हरेंद्र कुमार जेडीयू छोड़ आरजेडी में जा चुके
हैं । लेकिन सीट अगर तालमेल के तहत कांग्रेस के खाते में गई तो फिर विनिता विजय
फिर चुनाव लड़ेंगी । इस स्थिति में हरेंद्र कुमार को मोतिहारी लड़ाया जा सकता है ।
जॉर्ज फर्नांडिस यहां से 5 बार सांसद रह चुके हैं। मुजफ्फरपुर लीची और लहठी के लिए
मशहूर है।
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रघुवंश सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री |
वैशाली से रघुवंश प्रसाद सिंह आरजेडी के सांसद
हैं । रघवुंश सिंह का फिर से लड़ना तय है। हालांकि नीतीश के लोग भी उनसे संपर्क
में हैं । रघुवंश के पार्टी छोड़ने की स्थिति में वीणा शाही लड़ सकती हैं। अगर
रघवुंश आरजेडी से नहीं टूटे और जेडीयू अगर किसी सवर्ण को लड़ता है तो फिर अन्नू
शुक्ला, दिनेश सिंह, अजीत कुमार में से कोई एक उम्मीदवार हो सकते हैं । पिछड़े में
वृषण पटेल, दिनेश प्रसाद पर दांव लगा सकती है पार्टी । बीजेपी की ओर से लवली आनंद
के नाम की चर्चा है वैसे विधायक वीणा सिंह भी दावेदार हैं। रघुवंश प्रसाद सिंह
1996 से लगातार सांसद हैं। वैशाली की
लड़ाई बिना खून खराबे के खत्म नहीं होती। वैशाली लिच्छवी गणतंत्र की राजधानी थी । भूमिहार और राजपूत वोटर निर्णायक हैं। यादव भी अच्छी खासी
संख्या में हैं ।
हाजीपुर (सुरक्षित) लोकसभा सीट पर अभी जेडीयू का कब्जा है। पूर्व मुख्यमंत्री राम सुंदर दास ने पिछले चुनाव में लोजपा के राम विलास पासवान को हराया था। पहली बार पासवान अपने करियर में कोई चुनाव हारे थे। वो भी उन राम सुंदर दास के हाथों जो राजनीति में एक्सपायर हो चुके थे। जेडीयू इस बार दास को टिकट देगा या नहीं इसको लेकर सस्पेंस है। उम्र को देखते हुए उनका पत्ता काटा जा सकता है। लेकिन जो रमई राम जेडीयू के टिकट पर अपना दावा जता रहे हैं उनके लिए टिकट आसान नहीं है। रमई राम कई बार लोकसभा लड़े लेकिन न तो कभी पासवान को हरा पाए और ना ही कभी जीत पाए। लेकिन महत्वकांक्षी इतने हैं कि टिकट नहीं मिला तो हो सकता है कि वो पार्टी बदल लें। वैसे भी जेडीयू की स्थानीय राजनीति यहां पार्टी के किसी भी उम्मीदवार को भारी पड़ने वाली है। पूर्व जिला अध्यक्ष देव कुमार चौरसिया हाशिए पर चल रहे हैं। कोइरी नेताओं में दो गुट बन चुका है। लोकतांत्रिक समता पार्टी के उपेंद्र कुशवाहा की वजह से यहां जेडीयू के अस्तित्व पर संकट के बादल हैं। आरजेडी गठबंधन से पासवान का लड़ना अभी तक तय है। खुद नहीं लड़े तो बेटे को उतार सकते हैं। वैसे गठबंधन की तस्वीर अभी साफ होनी है। बीजेपी से पूर्व केंद्रीय मंत्री दसई चौधरी तैयारी कर रहे हैं। दसई कई सालों से राजनीति से गायब थे। समाजवादी जनता पार्टी. बिहार पीपुल्स पार्टी की राजनीति करने के बाद से लगभग शून्य में चल रहे थे। पिछले साल नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद से उन्होंने तैयारी शुरू कर रखी है। दसई को अगर बीजेपी ने उम्मीदवार नहीं बनाया तो हो सकता है कि उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी से तालमेल के बाद ये सीट उनकी पार्टी को मिले और दसई चौधरी उम्मीदवार हो जाएं। यादव, कोइरी , राजपूत और दलित वोटरों की संख्या अच्छी खासी है
सीतामढ़ी से जेडीयू के अर्जुन राय सांसद हैं । अर्जुन राय का फिर से जेडीयू से लड़ना तय है। लेकिन आरजेडी से सीताराम यादव, पूर्व विधायक जयनंदन यादव, दिलीप यादव के अलावा कई नए चेहरे चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। बीजेपी से रामसूरत राय जो कि औराई से विधायक हैं उनकी दावेदारी मजबूत है। वैसे वैश्य समाज से विधायक सुनील कुमार पिंटू और विधान पार्षद वैद्यनाथ प्रसाद भी दावेदार हैं। पूर्व सांसद नवल किशोर राय ने सभी दलों में अपने विकल्प खुले रखे हैं। आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे का गृह जिला है। सीतामढ़ी जगत जननी मां सीता की जन्मधरती है। यादव, वैश्य और मुस्लिम यहां निर्णायक भूमिका में हैं । नेपाल की सीमा यहां से लगती है।
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लवली आनंद, पूर्व सांसद |
शिवहर लोकसभा सीट से
बीजेपी की रमा देवी सांसद हैं। पहले तालमेल के तहत ये सीट जेडीयू के पास थी लेकिन
पिछले चुनाव में बीजेपी ने अदला बदली की थी। रमा देवी का घऱ इस क्षेत्र में नहीं पड़ता
। लेकिन इस बार भी रमा देवी का लड़ना तय है । वैसे लवली आनंद भी बीजेपी से लड़ने
की तैयारी कर रही हैं । जेडीयू से हरिकिशोर सिंह सिंह दावेदार थे लेकिन उनके निधन
के बाद से अब पूर्व सांसद अनवारुल हक और पूर्व विधायक ठाकुर रत्नाकर राणा के लड़ने की चर्चा हो रही है । आरजेडी से पूर्व केंद्रीय
मंत्री रघुनाथ झा भी दावेदार हैं वैसे दो बार वो दूसरी जगह से ही सांसद रहे हैं ।
नए-नए नेता बने अंगेश कुमार अंगराज भी क्षेत्र में गाड़िय़ों का काफिला लेकर घूम
रहे हैं। 6 विधानसभा सीटों में से 3 जेडीयू, 2 बीजेपी और 1 निर्दलीय के पास हैं ।
पूर्वी चंपारण सीट (पहले मोतिहारी) अभी बीजेपी के खाते में है। राधा मोहन सिंह यहां से सांसद हैं । राधा मोहन
सिंह तो बीजेपी से लड़ेंगे ही जेडीयू यहां से बाहुबली बबलू देव को लड़ा सकती है।
आरजेडी से मुजफ्फऱपुर वाले हरेंद्र कुमार और कारोबारी अरुण गुप्ता दावेदार हैं।
वैसे आरजेडी छोड़कर कांग्रेस में गए पूर्व सांसद अखिलेश सिंह फिर से सक्रिय हैं। अखिलेश
हैं तो अरवल जिले के लेकिन एक बार यहां से सांसद रह चुके हैं । दुनिया का सबसे बड़ा राम मंदिर यहीं बन रहा है। मोतिहारी पूर्वी चंपारण जिले
का मुख्यालय है। नेपाल की सीमा यहां से लगती है। पूर्वी चंपारण महात्मा गांधी की
कर्मभूमि रही है।
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प्रकाश झा |
वाल्मिकी नगर लोकसभा क्षेत्र
पहली बार 2009 में ही अस्तित्व में आया। इससे पहले बगहा सीट थी जो कि सुरक्षित थी।
वाल्मिकी नगर से अभी जे़डीयू के वैद्यनाथ महतो सांसद हैं । वैद्यनाथ महतो कोइरी
जाति से आते हैं । सांसद बनने से पहले नौतन सीट से विधायक थे । क्षेत्र में कोई
खास काम किया नहीं इसलिए इनकी उम्मीदवारी पर पार्टी विचार कर सकती है। पिछले चुनाव
में आरजेडी ने रघुनाथ झा को टिकट दिया लेकिन वो लड़ाई में भी नहीं थे। निर्दलीय लड़कर
दूसरे नंबर पर रहे फखरुद्दीन के समर्थक इस बार उनके आरजेडी से लड़ने का दावा कर
रहे हैं । बीजेपी में कई दावेदार हैं । पूर्व मंत्री चंद्र मोहन राय, विधायक सतीश
चंद्र दूबे तो पहले से हैं अब नए नए पार्टी में शामिल हुए पूर्व पेट्रोलियम सचिव(आरएस
पांडेय)रघुवर शरण पांडेय भी देवादार हो गये हैं. इस सीट पर बीजेपी, जेडीयू और
आरजेडी गठबंधन के बीच त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है ।पहले इस इलाके में डकैतों का
आतंक हुआ करता था लेकिन लालू यादव की सत्ता जाने के बाद से इलाके में परिस्थितियां
बदली है। वाल्मिकी नगर अभयारण्य को टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर विकसित किया जा रहा
है। वाल्मिकी नगर टाइगर रिजर्व में 8 बाघ बताये जाते हैं ।
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