ये जो तस्वीर है अपने आप में एक न्यूज चैनल है। निप्पू ने जो कहा है कि ये टीम जिस काम को भी ले लें इनसे बेहतर आउटपुट कोई दे नहीं सकता। इससे मैं भी इत्तेफाक रखता हूं। पहले ये सब लोग एक साथ एक जगह पर काम करते थे। लेकिन अब लोग एक दूसरे से दूर होते जा रहे हैं। पहले निखिल जी गए, अब निप्पू और यश । कल कोई और जाएगा। कहने का मतलब ये कि ये एक सिलसिला है जो अनंत काल तक चलता रहेगा। ऐसा नहीं कि इस टीम से बेहतर टीम इंडस्ट्री में नहीं है या नहीं होगी। लेकिन अभिनित और रश्मि, जो की इन तस्वीरों में नहीं हैं उनको शामिल करके देखें तो अपने आप में एक संपूर्ण व्यवस्था है। ऊपर खाली टोपी पहनाने के लिए एक चाहिए, बाकी सब फिट है। ये तो भूमिका बांध रहा हूं, जो लगता है ज्यादा हो गया।
खैर लिखना ये चाह रह हूं कि निप्पू और यश अब पुरानी कंपनी के लिए अतीत के अंग हो गये। स्वभाविक प्रक्रिया है कि कोई करीबी जब आपसे दूर जाता है तो आपको दुख होता है। जिसके साथ आप चौबीस घंटे में से 10 घंटे रोज बीताते हो वो अगर आपसे दूर होता है तो दुख होगा ही। उसमें भी निप्पू और यश जैसे सहयोगी और करीबी हो तो मामला कुछ ज्यादा करीब का हो जाता है। कोई खानदानी परिचय तो था नहीं, यहीं आकर इनसे जान पहचान हुई, जाने बुझे तो संबंध बेहतर बना और फिर एक सिलसिला चल पड़ा। कभी दोनों से व्यक्तिगत शिकायत नहीं रही मेरी, मैं कभी नाराज हुआ भी तो मुझसे ज्यादा तापमान इन लोगों का बढ़ जाता था। काम के दौरान निप्पू के बार-बार सिगरेट पीने को लेकर मेरी नाराजगी रहती थी, एक बार नाइट शिफ्ट थी उस दौरान तो सिगरेट को गोली मारिए, वो दो-दो घंटे किसी और चक्कर में लगा रहता था फोन पर, कई बार डांट खाया लेकिन अपनी आदत से बाज नहीं आया। एक बार तो मुझे महाशय को मनाने के लिए बड़ा जोर लगाना पड़ा था। मुझे कहता है कि आपको समझना बड़ा मुश्किल है, मैं आपको पौने चार साल में समझ नहीं पाया। पर ये नहीं बताता कि क्या नहीं समझ पाया। निप्पू बार बार आरोप लगाता है कि आपका कौन अपना है कौन पराया ये आपको आज तक पता नहीं चला। निप्पू, मेरे दोस्त क्या करना जानकर, कौन अपना है कौन पराया। तुम अपने हो ये काफी है। वैसे एक बात साफ कर दूं नहीं तो नाराजगी तो तय है। निप्पू और यश दोनों व्यक्तिगत रूप से मेरे काफी करीबी हैं। मैं ये मानता हूं उन लोगों का नहीं पता। प्रोफेशनल रूप से एक को अपना दायां हाथ मानता था तो दूसरे को बायां। बाकी बाद में। वैसे निप्पू दिखने में जितना भोला लगता है उतना है नहीं। मुझे पता है इस लाइन पर बवाल तय है। अबे मजाक कर रहा हूं ...।
दफ्तर में ये दोनों काम करने के मामले में भूत हैं। वक्त की जरूरत कहिये या फिर किस्मत का कनेक्शन, पहले टर्म में साथ काम करने का इतना ही वक्त तय हुआ था सो अच्छी जिंदगी की तलाश में दोनों जा रहे हैं। क्या पता कल मुझे भी कहीं जाना पड़े। यशजी तो गाय हैं। बर्दाश्त करते हैं तो खूब करते हैं उखड़ते हैं तो पता नहीं कब किसको क्या कर (बोल) दें। वैसे दोनों उन बेटियां की तरह हैं, जो जिस घर में जाएंगे उनको संवार देंगे, बशर्तें भरोसा करके देखना होगा। यहां के लोगों को समझ में नहीं आया ये यहां का दुर्भाग्य है लेकिन कुछ महापुरुषों ने ये जो कहा है कि इतने पैसे में लड़के तैयार हैं किसी के जाने आने से फर्क नहीं पड़ता, ऐसे लोगों का अपना दुर्भाग्य हैं जिनका भगवान मालिक है। अभी देखिए एक खेल हो गया, कल ये तय हुआ था कि दोनों को भव्य विदाई दी जाएगी। इंतजाम बाकी लोग करेंगे। अभी ये जानकारी मिली कि दोनों में से एक इधर के लोगों के लिए ही इंतजाम में लगा है। अद्भूत है...
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