Wednesday, December 2, 2009

काश! मैं दिन की शिफ्ट में होता....

दो महीने की नाइट शिफ्ट इस बार खत्म हो चुकी है। अभी एक महीने बचे हैं। लेकिन इस वक्त कोसने के अलावा कुछ नहीं कर सकता। अगर नाइट की शिफ्ट नहीं होती और मैं दिन की शिफ्ट में होता तो
शायद निखिल सर को नहीं जाने देता। शुक्रवार की रात यश ने फोन किया, मैं सोया हुआ था, बताया कि
एक गड़बड़ हो गई है सो निखिल सर ऑफिस छोड़कर घर चले गये हैं, शाम को कुछ विवाद हुआ था।
मैंने निखिल सर को फोन किया, लंबी बातचीत हुई...लेकिन सर अड़े हुए थे। रात में ऑफिस गया काम निपटाने के बाद सुबह सीधा उनके घर चला गया। करीब दो-तीन घंटे तक साथ रहे, बातचीत हुई, इस बीच दफ्तर से कई लोगों के फोन भी उनके मोबाइल पर आते रहे, बातचीत चलती रही। अंत में सहमति बन चुकी थी। मैं घर आ गया। रात में कोई बात नहीं हुई। रविवार की सुबह नवीन सर को फोन किया... नवीन सर उनके घर पर थे। उन्होंने बताया कि सब सामान्य हो चुका है। सोमवार यानी कल से मामला ठीक हो जाएगा। मैं तो निश्चिंत हो ही गया था, बाकी मित्रों को भी निश्चिंत कर दिया। सोमवार की सुबह करीब एक घंटे तक दफ्तर के बाहर हमलोगों ने बात की। नवीन सर, निखिल सर, यश तीनों ऑफिस में घुसे, हमलोग अपने घर चल दिये। सबको यकीन हो गया था कि मामला निपट गया है। अब सब ठीक है। रात में सोकर ,उठा तैयार हुआ, भूख लगी थी लेकिन घर में खाने का इंतजाम नहीं था।
सोचा ऑफिस जाकर खाऊंगा। जल्दी ऑफिस निकल गया था। जैसे ही स्कूटर से अंदर घुसा सामने अभिनित और प्रवीण जी मिल गये। मुझे किसी तरह की कोई आशंका नहीं थी, सिर्फ भूख लगी थी इसलिए थोड़ी चिंता थी, कि कैंटीन जाकर कुछ खा लूं, लेकिन प्रवीण जी ने चर्चा शुरू कर दी। मैं अब अनमने तरीके से सुन रहा था, क्योंकि ताजा सच्चाई से मैं अवगत नहीं था। अंत में उन्होंने कहा....
"और इन लोगों ने इस्तीफा उनका मंजूर भी कर लिया.." मैं सुनकर अवाक रह गया, कुछ बोल नहीं पाया। फिर मैंने पूरी जानकारी उनसे ली। भूख तो खत्म हो चुकी थी। अभिनित ने बताया कि अब कोई गुंजाइश नहीं है। अंदर ऑफिस में दाखिल हुआ तो वहां भी सर्वर ने सिस्टम का माचो कर रखा था।
मैंने सर से पूछा..... करीब आधे घंटे तक इसी मुद्दे पर बातचीत की, इस फैसले से दुखी वो भी थे। लेकिन शायद उनके हाथ सिस्टम से बंधे थे खैर.....
सुबह सुबह उनका मैसेज आया...... मेयर वाले पैकेज में कांग्रेस का आंकड़ा ठीक कर दो। अभी भी स्टार न्यूज ही देख रहे थे। बाद में हमलोग शिफ्ट खत्म करके उनके घर पहुंचे। बातचीत की शुरुआत मैंने कि सर "आप तो चार सौ बीस निकले....."
उन्होंने स्वीकार किया कि हां मैंने तुमलोगों के साथ ऐसा कर दिया.....लेकिन क्यों किया उसका जवाब भी हमलोगों के लिए ही था। कारण भी हम ही थे।
निखिल सर ने सोमवार की घटना का जिक्र करना शुरू किया...
काम करने के मूड से ही दफ्तर आया था। ऑफिस में काम भी शुरू किया। लेकिन जिस मुद्दे को लेकर शिकायत थी, वो शिकायत दूर नहीं हुई। जिस चीज को सुधारने का वादा किया गया वो चीजें तो बिल्कुल नहीं बदली। बंद शीशे के पीछे बैठक शुरू हो गई, कार्यक्रम से जुड़े सभी सीनियर पहुंच गये। लेकिन उस टीम के जूनियरों को कोई पूछा तक नहीं। यहीं बात इस वक्त के फैसले के लिए काफी था....

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