Monday, February 21, 2011

सदी के 'सबसे बड़े कांड' पर फैसला


अब लोग गोधरा कांड के लिए जानते है...
 वैसे तो 9 साल पूरे होने में तकनीकी तौर पर पांच दिन कम है। लेकिन गिनती के जोड़-घटाव को छोड़ दें तो 9 साल पूरे मानिए। तो पूरे नौ साल बाद आ रहा है कल फैसला। वैसे तो हाल के दिनों में कई बड़े फैसले आए, लेकिन कल के फैसले का मतलब अलग है। कल जिस केस में फैसला आ रहा है उस घटना से पहले इस देश में एक अलग हिन्दुस्तान था और उस घटना के बाद अब इस देश में एक अलग हिन्दुस्तान है। 27 फरवरी 2002 बहुत लोगों को याद नहीं होगा, लेकिन लोग भूले भी नहीं होंगे। एक ट्रेन में कुछ उपद्रवी टाइप के लोग आग लगा देते हैं। आग लगना महज एक संयोग भी हो सकता है या फिर साजिश भी। तर्क और बहस अपनी जगह पर है। कुछ तो हुआ ही था तभी तो 58 लोग जिंदा जल गए। कई स्टिंग ऑपरेशन भी हो चुके, कई गवाह और कई तरह के लोग घटना के आगे और पीछे की कहानी कबूल चुके हैं। वैसे कोर्ट का फैसला कल आएगा, डिटेल में जानकारी मिल जाएगी।

गोधरा कांड के बाद का गुजरात

 9 साल पहले इस घटना के बाद जो घटना हुई उसने देश के एक बड़े प्रदेश की चरित्र का अलग चित्रण संपूर्ण ब्रह्मांड के सामने पेश किया। खैर, कारण जो भी रहा... कोशिश सब ने की। कहीं कोई. तो कहीं कोई... राजनीति करने वाले अपनी राजनीति करते रहे...सत्ता ने सत्ता का फायदा उठाया, तो विपक्ष उस फायदे पर अपना राग गाकर अपने फायदे की सियासत में जुटा रहा। देश में जब भी कोई चुनाव आता है “गोधरा और गोधरा के बाद” मुद्दा जरूर बनता है... वोट के लिए। बिहार हो तब चाहे यूपी हो तब।
सियासी फायदे के लिए मजबूरी का इस्तेमाल
ताया जाता है कि 27 फरवरी 2002 अयोध्या से लौट रहे कार सेवकों के जत्थे पर उपद्रवियों ने हमला किया था.. हमला इस शक्ल में था कि साबरमती एक्सप्रेस जब गोधरा में रुकी तो बोगी नंबर एस-6 में आग लगा दी गई। देखते ही देखते आग ने विकराल रूप लिया.. और उस बोगी में मौजूद 58 लोग मारे गये। बाद में इस घटना ने सांप्रदायिक रूप लिया और फिर गोधरा सिर्फ गोधरा नहीं.. गोधरा कांड के रूप में देश में जाना जाने लगा। बाद में नरोडा पाटिया, गुलबर्गा सोसायटी और न जाने क्या क्या नाम देश को सुनने को मिले...बाद में कई जांच कमेटियां बनीं... रिपोर्ट भी तरह तरह के। किसी ने कहा बाहर से किसी ने कहा अंदर से। किसी ने साजिश किसी ने संयोग। सत्य क्या है...सामने आएगा...वैसे रेल चलाने वाले नेताओं ने भी अपने अपने हिसाब से इन नौ सालों में मन भर सियासत की। वोट बैंक से जुड़ा मामला तो था ही। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने पर रोक लगा दी थी...हालांकि फिर 26 अक्टूबर 2010 को  हरी झंडी दे दी थी । 94 आरोपी 2002 से ही जेल में बंद हैं। अब गोधरा कांड की हकीकत से कल पर्दा उठने वाला है। साबरमती सेंट्रल जेल में विशेष जज पी.आर. पटेल कल फैसला सुनाएंगे। मामला ज्यादा न बिगड़े इसके लिए गोधरा के ये  ट्रेन वाले वीडियो... नहीं दिखाने का आदेश जारी हो चुका है, सो वो तस्वीरें फिर से नहीं दिखेगी। 
यही है वो तस्वीर... जिसने....
बीते कुछ सालों में कई बड़े फैसले देश ने देखे और सुने हैं। चाहे मुंबई का 93 बम ब्लास्ट का मामला हो। या फिर अयोध्या की विवादित जमीन का मामला। देश अब दस साल पुरानी तस्वीरों से ऊपर उठ चुका है। अयोध्या के विवाद ने ही देश में कई ‘कांड’ कराए थे। लेकिन जब पिछले साल फैसला आया तो देश ने धैर्य और हिम्मत के साथ उसे स्वीकार किया... किसी ने भी कल्पना नहीं की थी। फैसले की नहीं, इस तरह स्वीकार करने की। अब कल भी इसी टाइप से जुड़े मामले में फैसला आ रहा है। न्यूज चैनलों पर कवरेज सुबह से ही लाइव रहने के आसार है...क्योंकि 21वीं सदी के ‘सबसे बड़े कांड’ पर फैसला जो आना है।










2 comments:

Ravi Pratap Dubey said...

एक संतुलित लेख, पक्ष रखने के बजाय आपने जानकारी देने का मार्ग चुना जिसके लिए आपको बधाई.....मेरी पसंदीदा पंक्ति----- "सत्य क्या है...सामने आएगा...वैसे रेल चलाने वाले नेताओं ने भी अपने अपने हिसाब से इन नौ सालों में मन भर सियासत की। "

MANOJ KUMAR said...

लेख पढ़ने के लिए शुक्रिया।