Friday, January 21, 2011

विश्व कप क्रिकेट टाइम टेबल


DATE TIME Match Details Venue

Feb 19,2011 14:30 Bangladesh vs India D/N Mirpur

Feb 20,2011 09:30 New Zealand vs Kenya Chennai

Feb 20,2011 14:30 Sri Lanka vs Canada D/N Hambantota

Feb 21,2011 14:30 Australia vs Zimbabwe D/N Ahmedabad

Feb 22,2011 14:30 England vs Netherlands D/N Nagpur

Feb 23,2011 14:30 Pakistan vs Kenya D/N Hambantota

Feb 24,2011 14:30 South Africa vs West Indies D/N Delhi

Feb 25,2011 09:30 Bangladesh vs Ireland Mirpur

Feb 25,2011 14:30 Australia vs New Zealand D/N Nagpur

Feb 26,2011 14:30 Pakistan vs Sri Lanka D/N Colombo

Feb 27,2011 14:30 India vs England D/N Kolkata

Feb 28,2011 09:30 Canada vs Zimbabwe Nagpur

Feb 28,2011 14:30 West Indies vs Netherlands D/N Delhi

Mar 1,2011 14:30 Sri Lanka vs Kenya D/N Colombo

Mar 2,2011 14:30 England vs Ireland D/N Bangalore

Mar 3,2011 09:30 South Africa vs Netherlands Mohali

Mar 3,2011 14:30 Pakistan vs Canada D/N Colombo

Mar 4,2011 09:30 New Zealand vs Zimbabwe Ahmedabad

Mar 4,2011 14:30 Bangladesh vs West Indies D/N Mirpur

Mar 5,2011 14:30 Australia vs Sri Lanka D/N Colombo

Mar 6,2011 09:30 South Africa vs England Chennai

Mar 6,2011 14:30 India vs Ireland D/N Bangalore

Mar 7,2011 14:30 Canada vs Kenya D/N Delhi

Mar 8,2011 14:30 Pakistan vs New Zealand D/N Kandy

Mar 9,2011 14:30 India vs Netherlands D/N Delhi

Mar 10,2011 14:30 Sri Lanka vs Zimbabwe D/N Kandy

Mar 11,2011 09:30 West Indies vs Ireland Mohali

Mar 11, 2011 14:30 Bangladesh vs England D/N Chittagong

Mar 12,2011 14:30 India vs South Africa D/N Nagpur

Mar 13,2011 09:30 New Zealand vs Canada Mumbai

Mar 13,2011 14:30 Australia vs Kenya D/N Bangalore

Mar 14,2011 09:30 Bangladesh vs Netherlands Chittagong

Mar 14,2011 14:30 Pakistan vs Zimbabwe D/N Kandy

Mar 15,2011 14:30 South Africa vs Ireland D/N Kolkata

Mar 16, 2011 14:30 Australia vs Canada D/N Bangalore

Mar 17,2011 14:30 England vs West Indies D/N Chennai

Mar 18,2011 09:30 Ireland vs Netherlands Kolkata

Mar 18,2011 14:30 Sri Lanka vs New Zealand D/N Mumbai

Mar 19,2011 09:30 Bangladesh vs South Africa Mirpur

Mar 19,2011 14:30 Pakistan vs Australia D/N Colombo

Mar 20,2011 09:30 Zimbabwe vs Kenya Kolkata

Mar 20,2011 14:30 India vs West Indies D/N Chennai

Mar 23,2011 14:30 1st Quarter Final D/N Mirpur

Mar 24,2011 14:30 2nd Quarter Final D/N Colombo

Mar 25,2011 14:30 3rd Quarter Final D/N Mirpur

Mar 26,2011 14:30 4th Quarter Final D/N Ahmedabad

Mar 29,2011 14:30 1st Semi Final D/N Colombo

Mar 30,2011 14:30 2nd Semi Final D/N Mohali

Apr 2,2011 14:30 Final D/N Mumbai

Monday, January 17, 2011

जगत जननी की जन्मकथा

भगवान राम के जन्म को लेकर आपने कई जगह पढ़ा होगा, सुना होगा, धारावाहिकों में देखा भी होगा । लेकिन सीता के जन्म को लेकर बहुत कम लोग वाकिफ होंगे। कुछ लोग जनकपुर सुनकर ही लौट आए होंगे कुछ कहानी में घुसे होंगे तो सीतामढ़ी से आगे नहीं बढ़े होंगे। (रिसर्च और दिलचस्पी रखने वालों को छोड़कर)। अभी दफ्तर में कल ही चर्चा हो रही थी, तो हमारे एक वरिष्ठ हैं शिवेंद्र जी, उनको और कुछ और मित्रों को मान्यताओं पर आधारित सीता जन्म की कहानी सुना रहा था। इसिलिए प्रसंगवश लगा कि इसे सार्वजनिक किया जा सकता है। वैसे कहानी में शिवेंद्र जी ने ज्यादा दिलचस्पी नहीं ली और इस कहानी को उन्होंने सन्नाटे में निपटवाते हुए संपन्न करवा दिया। खैर,  मान्यताओं पर आधारित कहानी का जिक्र कर देता हूं..

सुनाया जाता है कि उस युग में राजा जनक के राज में भारी अकाल पड़ा था। प्रजा परेशानी में जी रही थी। अकाल से निपटने के लिए पूजा-पाठ का दौर लगातार चल रहा था। पूजा- पाठ के दौरान ही एक दिन भविष्यवाणी हुई कि “राजा अकेले जहां कभी खेती नहीं हुई है वहां की बंजर भूमि पर हल चलाएंगे तो जनकपुर का भला होगा”। भविष्यवाणी में इस बात का भी जिक्र किया गया कि भगवान शंकर के जिस हल से राजा बंजर जमीन को जोतेंगे वो हल जनकपुर से दक्षिण-पश्चिम दिशा के जंगलों में मिलेगा। खैर भविष्यवाणी के बाद प्रजा का दबाव  बढ़ा और सुख- समृद्धि के लिए राजा बंजर जमीन जोतने की तैयारी में जुटे।
जनकपुर बड़ा राज्य हुआ करता था लिहाजा उस जगह की तलाश होने लगी जहां कि जमीन बिल्कुल ही बंजर थी। भविष्यवाणी में ये कहा गया था कि जनकपुर से दक्षिण-पश्चिम दिशा के जंगल में ही हल मिलेगा, लिहाजा उसी इलाके में बंजर भूमि की खोज हो रही थी। खोज खत्म हुई। भविष्यवाणी में जिस हल का जिक्र किया गया था वो हल मिला। बंजर जमीन जोतने के लिए जिस जगह की खोज हुई वो जगह आज के सीतामढ़ी शहर से पांच किलोमीटर पश्चिम में पड़ता है। कथा के मुताबिक इस जमीन के पश्चिम में तब घनघोर जंगल हुआ करता था।

सीतामढ़ी में जानकी स्थान

भविष्यवाणी के मुताबिक मिले आदेश को देखते हुए राजा रथ पर सवार होकर अपने राज की भलाई के लिए सिर्फ सारथी को लेकर उस जगह की ओर निकल पड़े। फिर तत्कालीन सीतामढ़ी शहर से पांच किलोमीटर पश्चिम जिसे आज पुनौरा कहा जाता है वहां की बंजर भूमि पर हल चलाना शुरू किया। हल चलाने के दौरान जमीन में गड़ा एक घड़ा हल से टकराया। मान्यताओं के मुताबिक तभी मौसम एकदम बदल गया। घड़ा और हल की टक्कर के बाद घड़ा फूट गया और घड़े से बच्चे के रोने की आवाज आई। राजा ने हल चलाना छोड़ दिया । फूट चुके घड़े से निकली बच्ची को गोद में उठाया और आसमान में बदलते मौसम को देखते हुए तुरंत जनकपुर लौटने का फैसला किया। राजा बच्ची को लेकर रथ की ओर बढ़े, सारथी तैयार बैठा था और राजा के रथ पर सवार होते ही सारथी जनकपुर की तरफ बढ़ चला। लेकिन चार किलोमीटर की ही यात्रा हुई थी कि बदलते मौसम ने अपना असर दिखाना शुरू किया। बारिश की प्रबल संभावना देख राजा जनक ने सारथी को सुरक्षित ठिकाने की तरफ रथ को बढ़ाने का आदेश दिया। राजा जिस इलाके से आए थे वहां की भूमि बंजर थी, पीछे जंगल था और राजा जिस इलाके से बढ़ रहे थे वहां आसपास कोई बस्ती भी नहीं थी। हालांकि कुछ और आगे बढ़ने के बाद जहां राजा का रथ पहुंचा था वहां परवल की खेती हुई थी। जिसे देख राजा ने तुरंत सारथी से कहा कि यहां खेती हुई है मतलब आसपास कोई बस्ती जरूर होगी। काफी खोजने के बाद सारथी को बस्ती तो नहीं मिला लेकिन फसल की देखभाल के लिए एक किसान ने झोपड़ी बना रखी थी, वो जरूर दिखा। तभी तेज बारिश होने लगी। राजा रथ छोड़कर पैदल ही बच्ची को गोद में लिए उस झोपड़ी में जा छिपे। मूसलाधार बारिश जब थमी तब जाकर कहीं राजा घर के लिए प्रस्थान कर पाए। मान्यताओं के मुताबिक तब जनकपुर में अजब खुशी का माहौल था। बारिश होने के बाद लोग खुश थे।

जनकपुर में जानकी मंदिर
 राजा बच्ची के साथ जनकपुर पहुंचे तो मिथिला की राजधानी में खुशी और दोगुनी हो गई। महल पहुंचने के बाद राजा ने पत्नी सुनयना सहित सभी शुभचिंतकों से पूरी घटना का जिक्र किया। पंडित बुलाए गए... नामाकरण की प्रक्रिया शुरू हुई, मामला राजा के परिवार का था लिहाजा तरह-तरह के नाम सुझाए जाने लगे। किसी ने सीता रखा तो किसी ने मैथिली, किसी ने जानकी नाम दिया तो किसी ने भूमिपुत्री रखा। हर नाम के मायने थे। सीता नाम इसलिए रखा गया कि संस्कृत में हल को सीत कहा जाता है। इनका जन्म भी हल के नोंक से हुआ लिहाजा नाम पड़ा सीता, मिथिला की राजा की पहली बेटी थीं लिहाजा मैथिली कहीं गईं। पिता का नाम जनक इसलिए जानकी और जमीन से जन्मी इसलिए भूमिपुत्री।
(उपरोक्त लेख मान्यताओं पर आधारित है)

पुनौरा में सीता जन्म स्थान

अब कहानी के कुछ पहलुओं को जानिए- जिस जंगल से राजा को भगवान शंकर का हल मिला अब वहां जंगल नहीं है। उस जगह का नाम आज शिवहर है जो बिहार में पड़ता है। शिव-हल की वजह से इस जगह का नाम शिवहल से होते होते शिवहर हो गया। राजा ने जिस जगह पर जमीन जोते थे वो  जगह आज पुनौरा के नाम से जाना जाता है। आज भी वहां  पौराणिक स्मृतियां मौजूद हैं।
(मान्यताओं के मुताबिक)।
जिस जगह परवल की खेती हो रही थी और जिस झोपड़ी में राजा जनक सीता को लेकर बारिश से बचने के लिए छिपे थे, उस जगह आज विशाल जानकी मंदिर है जहां देश प्रदेश से लोग रोज दर्शन के लिए पहुंचते हैं। परवल की खेती वाला इलाका खूबसूरत शहर सीतामढ़ी हो चुका है जो बिहार में पड़ता है। और मिथिला की राजधानी जनकपुर आज नेपाल में है।

नेपाल रेल की दुर्लभ तस्वीरें-जनकपुर में
 नेपाल में एक मात्र जगह जनकपुर ही है जहां रेल की सुविधा है। जनकपुर से कुछ दूर बाद उत्तर में पहाड़ शुरू हो जाता है। जनकपुर में एयरपोर्ट भी है। भारत से जनकपुर जाने के कुल तीन रास्ते हैं। मधुबनी के जयनगर से रेलमार्ग। सीतामढ़ी के भिट्ठामोड़ से बस सेवा। और मधुबनी के उमगांउ से बस सेवा। सीतामढ़ी आप पटना से सीधे बस से पहुंच सकते हैं। मुजफ्फरपुर से भी सीतामढ़ी बस से पहुंच सकते हैं , दूरी 55 किलोमीटर। सीतामढ़ी से जनकपुर की दूरी 60 किलोमीटर के आसपास है।
वैसे जानकारी के लिए ये भी बता दूं कि तमिल भाषा के रामायण में सीता को रावण की बेटी बताया गया है। मंदोद्री को सीता की मां। ये कहा गया है कि सीता के जन्म के साथ ही उनकी शक्ति और राक्षस कुल के लिए खतरे की जानकारी मिलने पर रावण को बिना बताये मंद्रोदी ने सीता को नदी में बहवाया दिया था। जो बहते-बहते राजा जनक के राज में पहुंची और फिर नदी किनारे पूजा करते वक्त उन्हें मिली।
(स्रोतों पर आधारित) अगली बार जनकपुर की विस्तार से चर्चा


Tuesday, January 4, 2011

कार और पहाड़ में नया साल 2011


ए साल में शिमला की यात्रा। पत्रकारिता के क्षेत्र में आने के बाद कहीं की यात्रा का ये मेरा पहला अनुभव था। करीब एक महीने से तैयारी चल रही थी। जाने को सब तैयार थे लेकिन कहां जाना है इसको लेकर असमंजस जाने-जाने के दिन तक रहा। वैसे छुट्टी मिलेगी या नहीं, मिलेगी तो सब को मिलेगी या नहीं इसको लेकर भी तस्वीर साफ नहीं हो पा रही थी। हालांकि जब मन बन गया और वरिष्ठों से राय लेने के बाद जगह की तस्वीर साफ हुई तो कैसे जाया जाए, इसको लेकर मामला फंस गया। हालांकि जल्द ही इसका भी तोड़ निकाला गया । इसके बाद एक दिन का ऑफ और एक दिन पुराना बाकी वाला ऑफ मिलाकर दो दिन की छुट्टी का समय निकला। तय समय से एक घंटे की देरी से हमलोग 31 दिसंबर की सुबह 7 बजे नाहन के लिए प्रस्थान किए। करीब 6-7 घंटे की यात्रा करने के बाद भी नाहन के रास्ते में पहाड़ की बात तो दूर नाहन का बोर्ड तक नहीं दिख रहा था। ऊपर से अंबाला में एक हाई-फाई चाय दुकान के मालिक से पूछा तो कहा कि नाहन कहां है ये पता नहीं। (लौटते वक्त ड्राइवर ने बताया कि चाय दुकानदार साउथ इंडियन है लिहाजा उसे यहां की भौगोलिक स्थिति की जानकारी नहीं है)

शंका हो रही थी कि कहीं गलत रास्ते पर तो नहीं जा रहे हैं ? किलोमीटर का बिल तो नहीं बढ़ रहा है ?कुछ कर भी नहीं सकते थे, सिवाए ड्राइवर के किसी को कोई जानकारी नहीं थी इस रूट की। खैर 2.15 बजे नाहन का बोर्ड दिखा और फिर दस मिनट बाद पहाड़। राहत मिली की रास्ता गलत नहीं है। 17 किलोमीटर पहाड़ पर का सफर तय कर 3 बजे के आसपास पहुंच भी गए। सर्किट हाउस में ठहरने का इंतजाम था सो वहां सब मामला सेट हो गया। लेकिन सबसे पहला झटका मित्रों को सर्किट हाउस में ही लगा जब वहां के केयर टेकर ने कहा कि यहां कुछ घूमने के लिए है ही नहीं।



वैसे मुझे भी लगा था कि कुछ तो देखने को मिलेगा, लेकिन मेरे सभी साथियों को नाहन को लेकर ज्यादा उम्मीद थी। मामला यहीं फेल हो गया, ऊपर से बाजार में कार लेकर पता करने निकले तो ऐसा लग रहा था जैसे पूरे नाहन में सिर्फ हम लोग ही थे जो घूमने आए थे। खैर मामला गड़बड़ा गया था। रश्मि कुछ ज्यादा ही दुखी हो गई थी, हम सब में से सबसे ज्यादा रश्मि ही थी जो यात्रा को लेकर उत्साहित थी। होटल में खाना खाते वक्त मुझे लगा कि कुछ तो करना होगा नहीं तो पैसा बेकार हो जाएगा। इतना खर्च हुआ तो नहीं कुछ और सही। तय कर लिया कि कल शिमला की तरफ जाएंगे। हालांकि किसी को बताया नहीं। नाहन में जो कुछ भी था देखने के लिए, वैसे था तो कुछ भी नहीं, लेकिन रानीताल, माल रोड, राजा का किला टाइप जो कुछ भी था सब घूम-घाम लिए। रात को सर्किट हाउस की तरफ लौट रहे थे तो हुआ कि कुछ खरीदा जाए। एक कपड़े की दुकान में गये और सब लोगों ने स्वेटर, जैकेट टाइप आइटम खरीदे।सर्किट हाउस लौटने के बाद सब ने मान की बात रखी, सब मन मसोस-मसोस कर बोल रहे थे। बिना वक्त जाया किए फैसला हो गया कि कल शिमला जाएंगे, लेकिन कल दो बजे ही यानी 1 जनवरी को 2 बजे तक शिमला छोड़ देंगे ताकि रात तक घर पहुंच जाए और सुबह समय से दफ्तर।
 नए साल की सुबह सुबह 6 बजे हम चारों शिमला यात्रा के लिए निकल पड़े। रास्ते में पहाड़ी रास्ते का आनंद लेते हुए 11.30 बजे हमारी गाड़ी शिमला पहुंची । जनता कुफरी जाने की जिद करने लगी। भावनाओं का सम्मान करते हुए हमलोग कुफरी की तरफ बढ़े।  रास्ते में बर्फबारी के दर्शन हुए और फिर शिमला आना सफल हो गया। डेडलाइड 2 बजे की ही थी कि 2 बजे लौटना भी है। हालांकि खाना खाने और गाड़ी पार्किंग के चक्कर में देर हुई लेकिन माल रोड, मिडल बाजार, लोअर बाजार टाइप जगह घूम घाम के 4 बजे से पहले फ्री हो गए। इस दौरान टॉयलेट खोजने के लिए 15 मिनट का समय बर्बाद हुआ। माल रोड से वापस पार्किग की तरफ लौटने में रास्ता भूले तो उसमें भी कुछ वक्त गया। बंडी, जूता, टोपी तीन चीजों की खरीदारी भी हुई। और 3 बजकर 56 मिनट पर सब लोग गाड़ी में बैठकर दिल्ली के लिए निकल पड़े। सोच रखे थे कि दिन-दिन में पहाड़ी रास्ता काट लेंगे। लेकिन रास्ते में परमाणु के पास 1 घंटा जाम में फंस गए। 1 घंटा लगभग रात को खाने में लगा। लौटने के दौरान 2 जगह चाय पी गई। और इस प्रकार रात 2 बजे के करीब दिल्ली में दाखिल हुए। हिसाब किताब करते और सब को छोड़ते हुए 3.30 बजे के करीब घर पहुंचे। और ऐसे साल का पहला दिन कार और पहाड़ में बीत गया। 2010 का आखिर दिन जितना उत्साह से शुरू हुआ था उतने उत्साह से खत्म नहीं हुआ लेकिन 2011 का पहला दिन उत्साह से शुरू हुआ और फिर उत्साह के थकान से खत्म भी।
अभिनित, रश्मि और यश ने यात्रा का आनंद तो लिया ही मैंने भी जमाने बाद कहीं की यात्रा की सो पूरा आनंद लिया। कुछ भी कहिए मजा आया, समय होता और और आता। बस निप्पू को सबने मिस किया। निप्पू क्यों नहीं गया इसके कारण का जो खुलासा उसने किया किसी को नहीं बता सकता। बेहतर होगा तुम तीनों में से कोई मुझसे या उससे पूछेगा भी नहीं। समय आने पर बता दूंगा। वैसे निप्पू ने कहा था कि मेरे लिए कुछ लेते आइएगा, लेकिन किसी ने कुछ लिया नहीं। मैं भी भूल गया। सॉरी निप्पू। अगली बार...साथ चलेंगे तो हिसाब बराबर करेंगे।