चर्चा तो बहुत दिनों से हो रही थी लेकिन
हाल के दिनों में जिस तरीके से नीतीश कुमार ने पार्टी पर अपनी पकड़ स्थापित कर ली
है उससे शरद यादव खुद को काफी कमजोर महसूस कर रहे है। बिहार में नीतीश ने जिस दिन
लोकसभा चुनाव प्रचार का बिगुल फूंका उस दिन के कार्यक्रम में शरद यादव नहीं थे।
ऐसा भी कोई ऐतिहासिक काम शरद जी के जिम्मे नहीं था कि वो मोतिहारी न जा सके। लेकिन
कहा जा रहा है कि शरद यादव को नीतीश की ओर से पूछा ही नहीं गया।
इतना ही नहीं 7 दिसंबर को संपन्न हुए इस
कार्यक्रम के लिए जो बैनर, पोस्टर और होर्डिंग लगाये गये थे उनमें किसी में भी न
तो शरद यादव का नाम था और ना ही उनकी छोटी-बड़ी कोई तस्वीर। शरद यादव के तथाकथित
समर्थकों को भी कार्यक्रम से दूर रखा गया। अब ये तो कोई भी राजनीतिक प्राणी समझ ही
सकता है कि लोकसभा की तैयारी हो और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सीन से गायब हो तो
भला स्थिति क्या हो सकती है।
तल्खी इस बात से और पुख्ता होती है कि
हाल ही में एक स्टिंग ऑपरेशन में पार्टी के तीन सांसदों के नाम आए हैं । भूदेव
चौधरी जमुई से और महेश्वर हजारी समस्तीपुर से सांसद हैं। ये दोनों सीट सुरक्षित
है। यानी ताजा स्थिति में नीतीश का कोर वोट बैंक। तीसरे विश्व मोहन कुमार हैं जो
सुपौल से सांसद हैं । तीनों पहली बार 2009 में सांसद का चुनाव जीतकर दिल्ली गये
थे। पटना में इस बात की चर्चा है कि नीतीश की मर्जी के खिलाफ शरद यादव ने इन
सांसदों को कारण बताओ नोटिस दिया है। नीतीश नहीं चाहते हैं कि इस राजनीतिक माहौल
में उनके अति पिछड़े वोट बैंक पर किसी तरह का कोई असर पड़े। लेकिन शरद यादव तो भाई
पार्टी के अध्यक्ष हैं सो मौका देखकर चौका मार दिया। ये अलग बात है कि इससे
सांसदों को कुछ होने जाने को नहीं है, लेकिन फिर भी नीतीश को शरद यादव ने आंख तो
दिखा ही दिया है।
यहां आपको बताते चलें कि बीजेपी से अलग होने को लेकर शरद यादव नीतीश से सहमत नहीं थे, प्रणब मुखर्जी को समर्थन के सवाल पर भी शरद यादव नीतीश के फैसले के सामने झुके थे।
कहा जा रहा है कि वो इस बार लोकसभा का चुनाव भी नहीं लड़ेंगे।
लालू के जेल जाने की वजह से यादवों में शरद यादव को लेकर काफी गुस्सा है। इसिलिए
शरद यादव बुढ़ापे में कोई रिस्क नहीं लेना चाहते ।
शरद यादव कुछ करेंगे या नहीं ये तो बेहतर
शरद यादव जानते हैं। लेकिन उनके जो समर्थक हैं वो छटपटा रहे हैं। कुछ जेडीयू सांसद
लालू के संपर्क में भी हैं। नीतीश के लिए मुश्किल एक जगह नहीं है। लोकसभा चुनाव का
एलान महीना-दो महीना में हो जाएगा। लेकिन परेशानी ये है कि नीतीश के पास लड़ने के
लिए 40 सीटों पर मजबूत उम्मीदवार नहीं मिल रहा है। हाल ही में नीतीश की पार्टी में
बाहुबली छवि के कई नेताओं को शामिल कराया गया है।शरद यादव
इसको लेकर भी नाराज हैं। चर्चा है कि सीवान
से चुनाव लड़ाने के लिए बाहुबली शहाबुद्दीन की पत्नी हिना को भी पार्टी में लाने
की तैयारी हो रही है। हालांकि लालू के जेल से बाहर आने के बाद अब कुछ तस्वीर अलग
भी हो सकती है।
जहां तक उम्मीदवारों की बात है तो नीतीश
के पास बिहार में पार्टी का मजबूत संगठन तो है लेकिन लड़ने के लिए मजबूत
उम्मीदवारों की कमी है। अब अगर तालमेल नहीं हुआ किसी से तो भी 40 लोग तो लड़ ही
लेंगे। लेकिन लड़ के जीतेंगे कितने इसको लेकर अभी पॉलिटिकल पंडित भी कुछ कहने की
हालत में नहीं हैं। वैसे एक बात जो चर्चा में है वो ये कि बिहार में मोदी की काट
के लिए नीतीश भी हिंदू-मुस्लिम फैक्टर के भरोसे ही चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
इसलिए ज्यादा से ज्यादा मुस्लिमों को नीतीश उम्मीदवार बना दें तो किसी को आश्चर्य
नहीं होना चाहिए। हां एक बात और नीतीश और शऱद की जोड़ी ने आखिरी वक्त में जॉर्ज के साथ जो किया था उसका फल तो......