शाम के 4 बजने वाले हैं...
अमूमन रोज इस वक्त भूख नहीं लगती लेकिन नाइट शिफ्ट होने की वजह से पता नहीं चल रहा कि कब भूख लग रही है और कब खाना है। वैसे कल छुट्टी थी आज रात को जाना है। भूख लगी है तो मैगी के अलावा इस समय घर में कुछ और खाने के लिए नहीं है। क्योंकि खाना जो माननीय राजेश जी (खाना बनाने वाला) ने बनाया था उसे दवाई के साथ सुबह करीब 11.30-12 बजे खा लिया। दवाई का जिक्र इसलिए क्योंकि तबीयत चार पांच दिनों से नासाज है। सर्दी, जुकाम की परेशानी है। आज ये जिक्र अभी इसलिए कर रहा हूं क्योंकि आज मेरा जन्मदिन था। अब था इसलिए क्योंकि अब है कहने का मतलब होगा समय खराब करना ।
कल मेरे साथ ही सबकी छुट्टी थी जिनकी नहीं थी उनको समय से बुला लिया गया था । तो इस हिसाब से कल शाम से लेकर कल रात तक सारा कार्यक्रम संपन्न हो गया। रात को सब अपने अपने घर चले गए। सुबह हो गई...नहाया धोया...पूजा पाठ करके निश्चिंत हो गया। पार्टनर दफ्तर चला गया। घर में अकेला मैं बच गया। जो अब तक अकेला हूं।
सोने के लिए बिस्तर पर गया था लेकिन नींद नहीं आई। चिदंबरम वाली खबर भी इसी बीच आ गई थी लेकिन कुछ हुआ नहीं सो वहां भी कोई इंट्रेस्ट रह नहीं गया था। आज हमारे दफ्तर में मिलन समारोह चल रहा है । सो रश्मि का फोन आया..पूछा क्या कर रहे हैं.. मैंने बताया रात को ऑफिस जाना है उसकी तैयारी कर रहा हूं मतलब सोने जा रहा हूं... बातचीत होते होते फोन कट गया । तभी निप्पू का मैसेज आया... भइया.. अभी सो के उठा.. फिर से बधाई हो टाइप। मैंने उसे जवाब भेजा। जवाब में उसने लवयू लिखकर वापस भेजा। सो नहीं पाया सो फिर से कंप्यूटर पर आ गया। अब इस बीच यश का भी मैसेज आया है। ओह...!!!! मैं यहां दिनचर्या सुनाने नहीं बैठा था.. लगता है रास्ता भटक गया...
दरअसल सुना तो रहा था दिनचर्या ही लेकिन तरीका दूसरा सोचा था। पिछले साल आज के दिन दफ्तर में था। वर्ल्ड कप का मैच चल रहा था उस दौरान। बीस ग्राम मिला था सचिन के चार यार रिपीट को लेकर। सुबह 9.30 बजे बिना टीज किए ब्रेक पर गये थे इस वजह से। वैसे ब्रेक के बाद तीन देवियां चलना था। फिर भी मैसेज गिरता रहा। कहने का मतलब पिछले साल दफ्तर में था, दिन कट गया....उसके पिछले साल भी दफ्तर में था..उसके पिछले साल नाइट शिफ्ट थी लेकिन छुट्टी नहीं थी... सो के बीत गया.. लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो पाया। आलू-सेम मिलाकर जो भुजिया बना था उसी से सुबह का काम चला... अब मैगी देखने जा रहा हूं और रात को न जाने कहीं सोता रहा तो फिर उसको जो समझ में आएगा सो बनाएगा।
कुल मिलाकर इस प्रकार से इस साल का जन्मदिन भी बीत गया। अब साल भर के लिए छुट्टी । वैसे जन्मदिन..टाइप चीज जो है चार-पांच करीबी टाइप लोगों को छोड़ दीजिए तो किसी को याद तो रहता नहीं है। हां फेसबुक टाइप आइटम के आने से लोगों को जानकारी मिल जाती है।
लीजिए-लिखते लिखते अनुराग का फोन आया...बधाई दी... और जैसे ही उसे मैंने बताया कि रात को जाना है तो सॉरी...बोलने लगा..फिर थैंक्यू भी हो गया। अनुराग को क्या पता था कि अभी मैगी बनाने जाना है। चलिए। देखता हूं मैगी बनाने के फिर खाना भी है.... सोना भी है। मिलन समारोह में जाना इसलिए संभव नहीं हो पाया कि तबीयत ठीक नहीं है। मौसम ठंडा है... लेकिन रात को क्या करेंगे...शिफ्ट करने तो जाना पड़ेगा। देखते हैं.... चलिए साल भर के लिए छुट्टी....सेम और आलू अब अगले साल !!!!!